बांग्लादेशी घुसपैठ से निपटने के लिए असम सरकार की 'पुश बैक' पॉलसी के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई से इंकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता ऑल बीटीसी माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन को कहा कि राहत के लिए वो गोवाहटी हाई कोर्ट का रुख करें.
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने याचिकाकर्ता को इस मामले में गुवाहाटी हाई कोर्ट जाने को कहा. पीठ ने याचिकाकर्ता ऑल बीटीसी माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन’ की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े से पूछ कि आप गुवाहाटी हाई कोर्ट क्यों नहीं जा रहे हैं? हेगड़े ने कहा कि यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के एक आदेश पर आधारित है. पीठ ने कहा कि कृपया गुवाहाटी हाई कोर्ट जाएं. सीनियर एडवोकेट हेगड़े ने कहा कि याचिकाकर्ता हाई कोर्ट के समक्ष उचित कदम उठाने के लिए याचिका वापस लेंगे. पीठ ने उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी.
बता दें कि अधिवक्ता अदील अहमद के माध्यम से दायर याचिका में शीर्ष अदालत के चार फरवरी के आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें एक अलग याचिका पर विचार करते हुए असम को 63 घोषित विदेशी नागरिकों, जिनकी राष्ट्रीयता ज्ञात है, उनके निर्वासन की प्रक्रिया दो सप्ताह के भीतर शुरू करने का निर्देश दिया गया था.
याचिका में दावा किया गया कि उक्त आदेश (चार फरवरी के) के अनुसरण में... असम राज्य ने विदेशी होने के संदेह वाले व्यक्तियों को हिरासत में लेने और निर्वासित करने के लिए व्यापक अभियान शुरू किया है. विदेशी न्यायाधिकरण के फैसले के बिना, राष्ट्रीयता सत्यापन किए बिना या सभी कानूनी उपायों के इस्तेमाल के बिना ये किया गया.
सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में आरोप लगाया गया है कि असम सरकार विदेशी होने के संदेह में लोगों को बिना कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में लेकर सीमा पार भेज रही है. सीमावर्ती जिलों में गरीब और वंचित भारतीय नागरिकों को बिना जांच और सुनवाई के जबरन डिटेन कर सीमा पार भेजा जा रहा है. याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट निर्देश दे कि फॉरेन ट्रिब्युनल की ओर से किसी को विदेशी नागरिक घोषित करने/अपील सुनवाई के उचित मौका देने और विदेश मंत्रालय की ओर से नागरिकता की पुष्टि हुई बग़ैर किसी को सीमा पार न भेजा जाए.