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'पर्यावरण को बचाने के लिए हम हरसंभव कदम उठाएंगे', Supreme Court ने पेड़ों की कटाई पर तेलंगाना सरकार को चेताया

आज सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार से बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई को लेकर जबाव मांगते हुए, अगले आदेश तक भविष्य में ऐसी किसी भी तरह की गतिविधि करने पर रोक लगाई है.

Telangana Government, Supreme court

Written by Satyam Kumar |Updated : April 16, 2025 1:27 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हैदराबाद विश्वविद्यालय के निकट की भूमि पर बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई के कारण हो रहे पर्यावरणीय नुकसान पर चिंता जताई तथा कहा कि वह पर्यावरण और पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगा. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने वहां पेड़ों की कटाई में जल्दबाजी करने को लेकर तेलंगाना सरकार से सवाल किया. पीठ ने तेलंगाना की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कहा कि आपको एक योजना बनानी होगी कि आप उन 100 एकड़ (भूमि) की पूर्व की स्थिति को कैसे बहाल करेंगे. जस्टिस गवई ने कहा कि शीर्ष अदालत उन वीडियो को देखकर हैरान है, जिनमें पशु आश्रय की तलाश में इधर उधर भागते दिख रहे हैं.

वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करें: SC

शीर्ष अदालत ने तीन अप्रैल को कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र में राज्य के पेड़ कटाई अभियान का स्वत: संज्ञान लिया और इसे बहुत गंभीर मामला बताया.  पीठ ने तेलंगाना सरकार से बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की अनिवार्यता के बारे में पूछा और अगले आदेश तक भविष्य में ऐसी किसी भी तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी. आज सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के वन्यजीव वार्डन को वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है. जस्टिस गवई ने कहा कि पर्यावरण और पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे.

जस्टिस बीआर गवाई ने कहा कि यदि राज्य चाहता है कि उसके मुख्य सचिव या अन्य अधिकारियों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई न हो, तो उसे 100 एकड़ भूमि पर पेड़ों की कटाई के बहाली की योजना पेश करनी होगी. अदालत ने कहा कि यह देखकर आश्चर्य हुआ कि जंगली जानवर आश्रय की तलाश में दौड़ रहे थे और कुछ जानवरों को आवारा कुत्तों द्वारा काटा गया था.

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शीर्ष अदालत ने तेलंगाना के वन्यजीव वार्डन को निर्देश दिया कि वे उन तात्कालिक कदमों को उठाएं जो जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए जरूरी है. अदालत ने कहा कि यह आवश्यक है कि राज्य पेड़ की कटाई की योजना के बजाय पेड़ कवर को बहाल करने की योजना पेश करे. अदालत ने राज्य सरकार को स्पष्ट किया कि वे पर्यावरण और पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए वह अपना रास्ता बदलने के लिए तैयार है. संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत, सर्वोच्च न्यायालय को किसी भी मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए कोई भी आदेश देने का अधिकार है.

15 मई को अगली तारीख

राज्य की ओर पेश हुए सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि विवादित क्षेत्र में सभी गतिविधियों को रोक दिया गया है और छवि खराब करने के दावे किए. इस पर अदालत ने पूछा कि बिना सक्षम प्राधिकार की अनुमति के इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई कैसे की गई. सुप्रीम कोर्ट ने बताने को कहा है कि क्या राज्य सरकार के पास पेड़ों की कटाई के लिए पेड़ प्राधिकरण की अनुमति थी और क्या उसने पर्यावरणीय प्रभाव आकलन प्रमाणपत्र प्राप्त किया है.सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की रिपोर्ट पर चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई 15 मई को निर्धारित की.

यह मामला हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने विश्वविद्यालय की सीमा से लगी 400 एकड़ भूमि को विकसित करने की राज्य सरकार की योजना के खिलाफ प्रदर्शन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान में लिया था.