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'कितने दोषी नेताओं को छह साल पूरे होने से पहले चुनाव लड़ने की छूट दी', सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जबाव

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से उन मामलों की जानकारी मांगी है जहां नेताओं की आपराधिक मामलों में दोषी होने के बाद चुनावी सूची से अयोग्यता को हटाया या कम किया गया है.

Supreme court

Written by Satyam Kumar |Published : March 4, 2025 8:09 PM IST

आज सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर अपराध के मामले में दोषी ठहराए लोगों को चुनाव लड़ने के लिए आजीवन प्रतिबंधित करने की मांग वाली याचिका पर चुनाव आयोग से दो हफ्ते में जवाब दायर करने को कहा है. इस मामले में चुनाव आयोग ने अभी तक जवाब दायर नहीं किया है. वही, केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा था कि 6 साल के लिए अयोग्य घोषित करने का मौजूदा प्रावधान पर्याप्त है. आजीवन प्रतिबंध जरूरत से ज्यादा कड़ी सजा होगी. केंद्र सरकार ने ये भी कहा था कि यह मामला पूरी तरह संसद के अधिकार के दायरे में आता है और कोर्ट को आजीवन प्रतिबंध की मांग को अस्वीकार कर देना चाहिए.

कितने मामलों में दोषी नेताओं को दी राहत

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपांकर दत्ता और मनमोहन की पीठ ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह दो सप्ताह के भीतर उन मामलों की जानकारी प्रदान करे, जहां उसने अयोग्यता की अवधि को कम या हटा दिया है. चुनाव आयोग से जानकारी भारतीय प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA, 1951) की धारा 11 के तहत मांगी गई है. भारतीय प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 11 के अनुसार, किसी व्यक्ति को दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर, उसे सजा सुनाए जाने की तारीख से लेकर छह साल तक अयोग्य माना जाता है. यहां तक कि यदि वह जमानत पर है या अपील का इंतजार कर रहा है, तब भी यह अयोग्यता लागू होती है.

केन्द्र सरकार ने आजीवन प्रतिबंध लगाने से किया इंकार

हालांकि, केंद्र सरकार ने आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग का विरोध करते हुए कहा है कि दोषी नेताओं पर जीवनभर का प्रतिबंध लगाना पूरी तरह से संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है. केंद्र ने कहा कि यह कानून का स्थापित सिद्धांत है कि दंड या तो समय या मात्रा के अनुसार निर्धारित होते हैं. कानून में दंड के क्रियान्वयन को एक उपयुक्त समय तक सीमित कर, रोकथाम सुनिश्चित की गई है और अनावश्यक कठोर कार्रवाई से बचा गया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी को केंद्र और चुनाव आयोग से यह जानना चाहा था कि क्या प्रतिनिधित्व अधिनियम की धाराएं 8 और 9 संवैधानिक रूप से मान्य हैं. इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए, पीठ ने पूछा कि एक व्यक्ति कैसे संसद में वापस आ सकता है, जब उसे किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया हो.

अब मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते के बाद होगी.