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लोगों के हित को देखते हुए Manipur Violence मामलों की सुनवाई गुवाहाटी में ही होगी, आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जांच कमेटी की कार्यकाल भी बढ़ाया

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में जातीय हिंसा के पीड़ितों के राहत और पुनर्वास की देखरेख के लिए बनी कमेटी का कार्यकाल जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया है.

Manipur, Supreme court

Written by Satyam Kumar |Published : March 17, 2025 7:13 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण आदेश सुनाते हुए कहा कहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई अब असम के गुवाहाटी में की जाएगी. यह निर्णय केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच किए जा रहे हिंसा के मामलों के संदर्भ में लिया गया है. प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि गुवाहाटी की अदालतें ही इन मामलों की सुनवाई करेंगी.  उक्त निर्देशों के अनुसार पीठ ने अगली सुनवाई 21 जुलाई के सप्ताह में तय की है.

गुवाहाटी में ही होगी मणिपुर हिंसा की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त, 2023 को गुवाहाटी स्थानांतरित किए गए मामलों में एक वकील की दलीलों पर गौर किया. चीफ जस्टिस ने कहा कि स्थानांतरित मामलों की सुनवाई गुवाहाटी की अदालतों में ही होगी. मामलों की सूची में 27 मामले शामिल हैं, जिनमें से कुछ गंभीर अपराधों से संबंधित हैं. इनमें से 20 मामले छेड़छाड़, बलात्कार और हत्या के आरोपों से संबंधित हैं, जबकि तीन मामले हथियार लूट से जुड़े हैं. विशेष रूप से, इसमें दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का मामला भी शामिल है, जिसका वीडियो हाल ही में सामने आया था. सुप्रीम कोर्ट ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश दिया कि वह स्थानांतरित मामलों के निपटारे के लिए एक या एक से अधिक न्यायिक अधिकारियों को नामित करें. इसके अलावा, अदालत ने सभी वादियों को समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों को सौंपने के मामले में सकारात्मक रुख अपनाया, लेकिन पक्षों से सावधानी बरतने को कहा.

मणिपुर सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कुछ लोगों के निहित हितों की संभावना की ओर इशारा किया.  इससे पहले, पिछले साल नौ दिसंबर को पीठ ने मणिपुर सरकार को निर्देश दिया था कि वह राज्य में जातीय हिंसा के दौरान जलाई गई, लूटी गई या अतिक्रमण की गई संपत्तियों की संख्या पर एक विस्तृत सीलबंद रिपोर्ट प्रस्तुत करे.रिपोर्ट में विस्थापित लोगों की शिकायतों का समाधान करने और उनकी संपत्तियों को बहाल करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी भी देने को कहा था.

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कमेटी का कार्यकाल भी बढ़ा

मणिपुर में तीन मई, 2023 को पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 200 से अधिक लोग मारे गए हैं, सैकड़ों लोग घायल हुए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. साथ ही, जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति का कार्यकाल भी 31 जुलाई, 2025 तक बढ़ा दिया गया है. इस समिति में बंबई हाई कोर्ट की पूर्व जस्टिस शालिनी पी जोशी और दिल्ली हाई कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश आशा मेनन भी शामिल हैं. यह समिति मणिपुर में जातीय हिंसा के पीड़ितों के राहत और पुनर्वास की देखरेख के लिए गठित की गई है. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने पिछले साल पांच अगस्त को इस समिति का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ाया था.

(खबर पीटीआई इनपुट से है)