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हम भारतीय नागरिक हैं, प्रूफ करने को सभी डॉक्यूमेंट... पाकिस्तान भेजे जा रहे एक परिवार ने Supreme Court से लगाई गुहार, मिली ये राहत

पाकिस्तान भेजे जा रहे एक परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि उनके पास भारतीय नागरिकता को साबित करने के लिए आधार, पैन कार्ड, पासपोर्ट जैसे दस्तावेज हैं, लेकिन अब उन्हें पाकिस्तानी नागरिक बताकर वापस भेजा जा रहा है.

India Pakistan Border, Supreme Court

Written by Satyam Kumar |Published : May 2, 2025 12:48 PM IST

Pahalgam Terror Attack: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो जम्मू-कश्मीर से पाकिस्तान डिपोर्ट किए जा रहे 6 लोगों के एक परिवार के दस्तावेजों की जांच करें. जांच पूरी होने तक उनको पाकिस्तान वापस नहीं भेजा जाएगा. इन लोगों का दावा था कि उनके पास भारतीय नागरिकता को साबित करने के लिए आधार, पैन कार्ड, पासपोर्ट जैसे दस्तावेज हैं, लेकिन अब उन्हें पाकिस्तानी नागरिक बताकर वापस भेजा जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस में याचिकाकर्ताओं के दावे की पुष्टि के लिए दस्तावेजों की जांच ज़रूरी है, इसलिए हम अपनी ओर ओर कोई राय व्यक्त न करते हुए सरकार को निर्देश दे रहे है कि वो दस्तावेजों की जांच करें और जल्द फैसला ले. जब तक सम्बंधित ऑथोरिटी दस्तावेजों को लेकर कोई फैसला नहीं लेती तब तक याचिकाकर्ताओं को वापस पाकिस्तान भेजने जैसी कोई दंडात्मक कार्रवाई सरकार नहीं करेगी. अगर याचिकाकर्ता ऑथोरिटी के रुख से सन्तुष्ट नहीं है तो वो जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट जा सकते है.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा डिपोर्टेशन का मामला

पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने लॉन्ग टर्म और डिप्लोमैटिक वीजा को छोड़कर अन्य सभी पाकिस्तानी वीजा रद्द करने का फैसला किया. इस फैसले के बाद देश भर से पाकिस्तानी नागरिकों को चुन-चुनकर उन्हें वापस से पाकिस्तान भेजा जा रहा है. इसी क्रम में बीते देर शाम इस मामले को सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ के सामने लाया गया, पीठ में शामिल जस्टिस सूर्यकांत ने इस मामले को अगले दिन सुनने का आश्वासन दिया. सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि जम्मू एंड कश्मीर हाई कोर्ट ने भी सीआरपीएफ जवान से शादी करनेवाली पाकिस्तानी महिला को डिपोर्ट करने पर रोक लगाया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों इनके डॉक्यूमेंट्स की जांच करे. उसके बाद दि वे केंद्रीय अधिकारियों के अंतिम निर्णय से असंतुष्ट हैं तो इसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अंतिम निर्णय तक याचिकाकर्ताओं के साथ कोई जबरदस्ती कार्रवाई नहीं की जाएगी. केन्द्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले संबंधित अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए था जिससे उनके दावों की जांच की जा सकती थी. उन्होंने यह आश्वासन दिया कि आखिरी फैसले तक याचिकाकर्ताओं के साथ कोई जबरदस्ती कार्रवाई नहीं की जाएगी. इस बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पूरा फैक्ट छिपाने से भी नाराजगी जाहिर और उसके याचिका पर आगे से सुनवाई करने से इंकार करते हुए कहा कि इस मामले में कुछ पहलू ऐसे हैं जिस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने की स्थिति में नहीं है.

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