आज सुप्रीम कोर्ट ने होम बायर्स से जुड़े मामले में एक बड़ा कदम उठाया है. सुप्रीम कोर्ट ने NCR में बिल्डर-बैंकों के गठजोड़ की CBI जांच करने के आदेश देते हुए जांच एजेंसी को सात प्रारंभिक जांच ( PE) दर्ज करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने CBI निदेशक को SIT बनाने का निर्देश दिया है. वहीं यूपी और हरियाणा के DGP को CBI को पुलिस अफसर मुहैया कराने का आदेश दिया है. इनमें एक PE सुपरटेक के खिलाफ होगी. सुप्रीम कोर्ट हर महीने इस मामले की मॉनीटरिंग भी करेगी. साथ ही हर महीने इस मामले की सुनवाई भी करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों और रियल एस्टेट डेवलपर्स के बीच कथित मिलीभगत और हजारों आवास खरीदारों को धोखा देने के आरोपों के कारण सुपरटेक लिमिटेड की परियोजनाओं की सीबीआई जांच के आदेश दिए है. कोर्ट का मानना है कि बैंकों ने बिल्डरों को समय पर परियोजनाएं पूरी किए बिना ही ऋण राशि का बड़ा हिस्सा दे दिया जिससे खरीदारों को नुकसान हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के डीजीपी को विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने, तथा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, नोएडा प्राधिकरण, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, आईसीएआई और आरबीआई को एसआईटी को आवश्यक सहयोग देने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में कहा था कि हजारों आवास खरीदार सब्सिडी योजना से प्रभावित हुए हैं, जहां बैंकों ने निर्धारित समय के भीतर परियोजनाएं पूरी किए बिना बिल्डरों को आवास ऋण राशि का 60 से 70 प्रतिशत भुगतान कर दिया है.
शीर्ष अदालत कई आवास खरीदारों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने एनसीआर क्षेत्र विशेष रूप से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में विभिन्न आवास परियोजनाओं में सब्सिडी योजनाओं के तहत फ्लैट बुक किए थे. उनका आरोप है कि फ्लैटों पर कब्जा नहीं होने के बावजूद बैंकों की ओर से उन्हें ईएमआई का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
शीर्ष अदालत ने तब सीबीआई को मामले की तह तक जाने के लिए एक खाका प्रस्तुत करने का आदेश दिया था कि वह किस तरह बिल्डर-बैंकों के गठजोड़ को बेनकाब करने की योजना बना रहा है, जिसने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हजारों आवास खरीदारों को धोखा दिया है.