सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि दृष्टि बाधित उम्मीदवार भी न्यायिक सेवा के लिए चुने जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा नियम के नियम 6ए को रद्द कर दिया है, जिसके मुताबिक दृष्टिबाधित व्यक्तियों को न्यायपालिका में शामिल होने की अनुमति नहीं थी. कोर्ट ने कहा कि दृष्टिबाधित उम्मीदवार भी चयन प्रक्रिया में भाग लेने के हकदार हैं. उनके साथ किसी तरह का पक्षपात नहीं होना चाहिए. कोर्ट ने ये भी साफ किया कि नियम 7 के तहत 3 साल प्रैक्टिस का अनुभव या पहली बार में ही 70% अंक प्राप्त करने की अनिवार्यता दिव्यांग उम्मीदवारों पर लागू नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने एक दृष्टिबाधित उम्मीदवार की मां की ओर से सुप्रीम कोर्ट को लिखी गई चिट्ठी के बाद मामले का संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की थी. इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों में न्यायिक सेवाओं में दृष्टि बाधित उम्मीदवारों को आरक्षण से वंचित करने पर स्वत: संज्ञान भी लिया था.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेबी पारदीवाल और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने इस मामले को सुनवाई की. कोर्ट ने कहा, दिव्यांग व्यक्तियों को न्यायिक सेवाओं में शामिल होने के लिए किसी भी प्रकार के भेदभाव का सामना नहीं करना चाहिए और राज्य को समावेशी ढांचा (Inclusive Infrastructure) प्रदान करने के लिए सकारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
"कोई भी उम्मीदवार केवल विकलांगता के कारण ऐसे अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता."
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश न्यायिक सेवाओं के नियम 6ए को रद्द कर दिया, क्योंकि यह दृष्टिहीन उम्मीदवारों और कम दृष्टि वाले लोगों को न्यायपालिका में शामिल होने की अनुमति नहीं देता था. कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि मध्य प्रदेश में ऐसे उम्मीदवार चयन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए पात्र होंगे और राजस्थान न्यायिक प्रक्रिया में समान नियम लागू होने के निर्देश दिए.
पिछले साल एक दृष्टि बाधित उम्मीदवार की मां ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखाते हुए कहा कि मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में दृष्टि बाधित उम्मीदवारों की नियुक्ति पर रोक है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पत्र को स्वीकार करते हुए इसे स्वत: संज्ञान मामले में बदल दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उन सभी राज्यों को नोटिस जारी किया, जहां पर दृष्टि बाधित उम्मीदवार के न्यायिक सेवा में शामिल होने पर रोक थी.
अब सुप्रीम कोर्ट ने किसी भेदभाव से इंकार करते हुए दृष्टि बाधित उम्मीदवारों को न्यायिक सेवा में शामिल करने का आदेश पारित किया है.