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SC जस्टिस सूर्यकांत ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को दी श्रद्धांजलि, देश निर्माण में महापुरुषों के योगदान को याद करते हुए कहीं ये बात

सुप्रीम कोर्ट में महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई. इस दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि गांधी के लिए सच्ची स्वतंत्रता 'सबसे कमजोर लोगों को मिली गरिमा' थी, जबकि शास्त्री का शासन 'विनम्रता, सत्यनिष्ठा और सेवा भावना' से युक्त था.

जस्टिस सूर्यकांत (पिक क्रेडिट ANI)

Written by Satyam Kumar |Published : October 2, 2025 11:58 PM IST

2 अक्टूबर के दिन सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जन्म जयंती का आयोजन किया गया. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को याद किया. सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित एक समारोह में जस्टिस सूर्यकांत ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धा से नतमस्तक हैं, जिनका जीवन और आदर्श मानवता के पथ को प्रकाशित करते हैं.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि समाज के प्रत्येक वर्ग के लाखों भारतीयों को एकजुट करने की उनकी (गांधी की) क्षमता ने एक व्यापक राष्ट्रीय आंदोलन को जन्म दिया, जिसने जमीनी स्तर पर ब्रिटिश शासन को सीधे चुनौती दी. जस्टिस ने कहा कि महात्मा गांधी ने गांवों, आत्मनिर्भरता और सरल जीवन पर ध्यान केंद्रित किया जिससे उन्हें बहुसंख्यक भारतीयों का प्रतिनिधित्व करने, ग्रामीण जनता को व्यापक राजनीतिक आख्यान में आवाज देने और एकीकृत राष्ट्रीय पहचान को मजबूत करने का अवसर दिया. जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज हैं और 24 नवंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं. उन्होंने कहा कि गांधी के लिए सच्ची स्वतंत्रता कभी भी राजनीतिक संप्रभुता की प्राप्ति तक सीमित नहीं थी; इसे वह सबसे कमजोर लोगों को दी गई गरिमा और समाज के हाशिये पर रहने वालों को न्याय के मापदंड पर मापते थे.

जस्टिस सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारियों, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के वकीलों को संबोधित करते हुए कहा कि उनका दृष्टिकोण केवल कानूनी संस्थाओं तक ही सीमित नहीं था, बल्कि सामाजिक जीवन के व्यापक ढांचे को भी इसमें शामिल किया गया था, जहां सद्भाव, समानता और करुणा मानव आचरण के पथप्रदर्शक ताकते थीं.

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पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि शास्त्री जी स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभिक वर्षों से ही गांधीवादी विचारों से प्रभावित थे.उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के अपने प्रारंभिक वर्षों से ही गांधीवादी विचारों से पोषित शास्त्री जी ने उन मूल्यों को सार्वजनिक जीवन के शीर्ष तक पहुंचाया। शासन में उनका कार्यकाल विनम्रता, सत्यनिष्ठा और सेवा भावना से युक्त था. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि उनका चिरस्थायी आह्वान - ‘जय जवान, जय किसान’ - आज भी देशभक्ति की शाश्वत पुष्टि के रूप में गूंजता है, जो राष्ट्र की रक्षा करने वाले सैनिक और इसे बनाए रखने वाले किसान, दोनों का सम्मान करता है.