सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र के नगर निकाय को एक याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें सिंधुदुर्ग जिले में एक घर और दुकान को ध्वस्त करने के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई है. जस्टिस बीआर गवाई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने महाराष्ट्र के प्राधिकरण से जवाब मांगा है और मामले की सुनवाई चार हफ्तों के बाद के लिए तय की है. याचिका में दावा किया गया है कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के 13 नवंबर 2024 के फैसले का उल्लंघन है, जिसमें देशभर में बिना पूर्व सूचना और सुनवाई के ध्वस्तीकरण पर रोक लगाई गई थी. याचिककर्ता के अनुसार, यह ध्वस्तीकरण एक चैंपियंस ट्रॉफी क्रिकेट मैच के दौरान कथित 'एंटी-इंडिया' नारेबाजी को लेकर किया गया था, जो भारत और पाकिस्तान के बीच चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में हुआ था. याचिका में दावा किया गया है कि ध्वस्तीकरण उस शिकायत के आधार पर किया गया है, जिसमें याचिकाकर्ता के 14 वर्षीय बेटे पर दुबई में 23 फरवरी को खेले गए क्रिकेट मैच के दौरान 'एंटी-इंडिया' नारा लगाने का आरोप लगाया गया था.
किताबुल्ला हमीदुल्ला खान, जो एक 40 वर्षीय स्क्रैप डीलर हैं, ने बताया कि उनके परिवार के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई थी. उनकी पत्नी और छोटे बेटे को मध्यरात्रि में मालवण पुलिस स्टेशन ले जाया गया और उन्हें लॉकअप में रखा गया. उन्होंने कहा कि हालांकि बच्चे को 4-5 घंटे बाद छोड़ दिया गया, लेकिन खान और उनकी पत्नी को दो दिनों तक पुलिस हिरासत में रखा गया. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि स्थानीय विधायक द्वारा लोगों को एकत्रित किया गया और स्थानीय प्राधिकरण पर ध्वस्तीकरण के लिए दबाव डाला गया. यह कार्रवाई 24 फरवरी को मैच के एक दिन बाद की गई, जिसमें कई लोग मौजूद थे. मजिस्ट्रेट ने एक आदेश में कहा कि रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ नहीं है जो यह दर्शाता हो कि आरोपी का कथित कार्य राष्ट्र की एकता के लिए हानिकारक था. प्राधिकरण ने याचिकाकर्ता की टिन-शेड दुकान और घर को अवैध संरचना के आरोप में ध्वस्त कर दिया. याचिकाकर्ता का कहना है कि नगर निकाय का यह कदम मनमाना, अवैध और दुर्भावनापूर्ण था, जो सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल के निर्देशों का उल्लंघन करता है.
पिछले साल 13 नवंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा कि बिना पूर्व सूचना के कोई संपत्ति नहीं ध्वस्त की जानी चाहिए और प्रभावित व्यक्तियों को प्रतिक्रिया देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए. हालांकि, यह निर्देश उन मामलों पर लागू नहीं होंगे जहां कोई अवैध संरचना सार्वजनिक स्थान पर है, जैसे सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन या किसी नदी या जल निकाय के पास. इसके अलावा, यदि किसी अदालत द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया है, तो भी ये दिशा-निर्देश लागू नहीं होंगे.