सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई बीआर गवई वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इससे पहले केन्द्र सरकार की ओर से अंतरिम राहत देने की मांग की गई थी, जिस पर सीजेआई ने आश्वासन दिया था कि वे अगली सुनवाई में इस मामले को विस्तार से सुनेंगे. आज पीठ के सामने याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल मौजूद हुए. कपिल सिब्बल ने कहा कि नया कानून कहता है कि जैसे ही किसी भी ईमारत को ASI एक्ट के तहत प्राचीन संरक्षित स्मारक घोषित किया जाता है उस पर वक़्फ़ का अधिकार खत्म हो जाएगा. सिब्बल ने दलील दी कि नए कानून में प्रावधान किया गया है कि धर्मांतरण के जरिए इस्लाम अपनाने वाला व्यक्ति 5 साल से पहले वक़्फ़ नहीं कर सकता. यह प्रावधान पूरी तरह असंवैधानिक है। सिब्बल ने दलील दी कि पहले वक़्फ़ बोर्ड में लोग चुन कर आते थे. सभी मुस्लिम होते थे. अब सभी सदस्य मनोनीत होंगे और11 सदस्यों में से 7 तक अब गैर मुस्लिम हो सकते हैं.
चीफ जस्टिस ने कहा कि आम तौर पर कोर्ट किसी क़ानून पर अपना फैसला लेने तक उसके अमल पर अंतरिम रोक नहीं लगता, ऐसा केवल तभी होता है जब कानून को चुनौती देने वालों का केस बहुत मजबूत हो.
सिब्बल ने कोर्ट को स्पष्ट किया है कि 1923 से पहले वक्फ बाय प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन की ज़रूरत थी. 1923 के बाद रजिस्ट्रेशन ज़रूरी कर दिया गया. पर ऐसा कभी नहीं था कि इसके न होने पर उस प्रॉपर्टी का स्टेटस छीन जाएगा. उन्होंने को बताया कि 1923 से पहले वक़्फ़ बाय प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन की ज़रूरत थी. 1923 के बाद रजिस्ट्रेशन ज़रूरी कर दिया गया पर ऐसा कभी नहीं था कि इसके न होने पर उस प्रॉपर्टी का स्टेटस छीन जाएगा.
कपिल सिब्बल ने कोर्ट को स्पष्ट किया है कि 1923 से पहले वक्फ बाय प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन की ज़रूरत थी. 1923 के बाद रजिस्ट्रेशन ज़रूरी कर दिया गया. पर ऐसा कभी नहीं था कि इसके न होने पर उस प्रॉपर्टी का स्टेटस छीन जाएगा. और नया कानून कहता है कि जैसे ही किसी भी ईमारत को ASI एक्ट के तहत प्राचीन संरक्षित स्मारक घोषित किया जाता है उस पर वक़्फ़ का अधिकार खत्म हो जाएगा. साथ ही नए कानून में प्रावधान किया गया है कि धर्मांतरण के जरिए इस्लाम अपनाने वाला व्यक्ति 5 साल से पहले वक़्फ़ नहीं कर सकता. यह प्रावधान पूरी तरह असंवैधानिक है.
सिब्बल ने दलील दी कि पहले वक़्फ़ बोर्ड में लोग चुन कर आते थे, सभी मुस्लिम होते थे. अब सभी सदस्य मनोनीत होंगे और11 सदस्यों में से 7 तक अब गैर मुस्लिम हो सकते हैं.
याचिकाकर्ताओं की सिब्बल ने कहा कि अगर वक़्फ़ की किसी प्रोपटी पर ये दावा किया जाता है कि वो सरकारी सम्पति है और कमिश्नर इसकी जांच करना शुरू कर देता है तो उसकी जांच के शुरु होने के वक्त से उसका वक़्फ़ प्रोपटी का स्टेटस नहीं माना जाएगा. जांच के नतीजे पर पहुंचने का इतंज़ार नहीं करना होगा। ये प्रावधान अपने आप में मनमाना है.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच दो बजे से दोबारा इस मामले की सुनवाई करने बैठी. सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अपनी दलील जारी रखते हुए कहा कि अगर नया कानून जारी रहता है तो संभल जामा मस्जिद भी वक़्फ प्रॉपटी नहीं रह जाएगी. ये तो सिर्फ एक उदाहरण है।ऐसे अनेक वक़्फ़ प्रॉपर्टी है, जो अपना स्टेटस खो देगी ( नया क़ानून में सेक्शन 3 D में प्रावधान है कि अगर किसी प्रॉपर्टी को ASI संरक्षित स्मारक घोषित किया जाता है तो उसका वक्फ प्रॉपटी का स्टेटस छीन जाएगा.