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क्या प्राइवेट स्कूलों का लॉकडाउन में फीस वसूलना सही था? पता लगाने को सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाई

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जनवरी 2023 में निजी स्कूलों को कोविड-19 के दौरान फीस का 15% एडजस्ट करने या वापस करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट अब इसी मामले की सुनवाई कर रही है.

सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : March 18, 2025 1:42 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के कुछ प्राइवेट स्कूलों की कोविड़ के दौरान वित्तीय हालात पर रिपोर्ट देने के लिए रिटायर्ड हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है. रिटायर्ड हाई कोर्ट जज जस्टिस जी पी मित्तल और चार्टर्ड अकाउंटेंट आदिश मेहरा इस समिति के सदस्य होंगे. ये कमेटी स्कूलों की 2018-22 के बीच की बैलेंस सीट का अध्ययन कर रिपोर्ट देगी. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट तय करेगा कि क्या निजी स्कुलों का लॉकडाउन के दौरान पूरी फीस वसूलना जायज था या नहीं. कोर्ट ने समिति को 4 महीने के भीतर ऑडिट पूरा करने को कहा है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2023 को याचिकाकर्ता प्राइवेट स्कूलों को 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2022 के बीच की बैलेंस शीट दाखिल करने का निर्देश दिया था. स्कूलों को बताना था कि क्या उन्होंने कोविड़ के दौरान टीचर्स की सैलरी में कटौती की. क्या उनका रोज़ाना के खर्चे में कमी आई. अब कोर्ट ने स्कुलों से कहा है कि वो तीन हफ्ते में यह सब जानकारी कमेटी को उपलब्ध कराए. इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगी अंतरिम रोक जारी रहेगी.

क्या है मामला?

जनवरी 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों को कोविड-19 महामारी के दौरान छात्रों से ली गई फीस का 15% एडजस्ट करने या वापस करने का निर्देश दिया था. हाई कोर्ट में स्कूलों की खिलाफ दायर याचिका में कहा गया था कि जब पूरी पढ़ाई विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए हुई तो स्कूल पूरी फीस की मांग नहीं कर सकते हैं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2023 को याचिकाकर्ता प्राइवेट स्कूलों को 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2022 के बीच की बैलेंस शीट दाखिल करने का निर्देश दिया था. स्कुलों को बताना था कि क्या उन्होंने कोविड़ के दौरान टीचर्स की सैलरी में कटौती की. क्या उनका रोज़ाना के खर्चे में कमी आई. अब कोर्ट ने स्कुलों से कहा है कि वो तीन हफ्ते में यह सब जानकारी कमेटी को उपलब्ध कराए.