India's Got Latent: अदालती कार्यवाही से बचना भी अपने आप में एक अपराध है, भले ही वह कोई भी हो. ऐसा ही कुछ नसीहत सुप्रीम कोर्ट ने समय रैना को इशारों ही इशारों में दिया है. बिना नाम लिए अदालत ने कहा कि मामले के आरोपी को जांच प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए बजाय इसके वे विदेश में रहकर कानूनी प्रक्रिया का मखौल बना रहे है. सुप्रीम कोर्ट ने ये बातें रणबीर इलाहाबादिया को शो करने की इजाजत की मांग को स्वीकार करते हुए कहा.
इंडियाज गॉट लेटेंट के शो पर अशोभनीय या आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा सुनवाई की. रणवीर इलाहाबादिया की ओर से पेश वकील ने मांग कि कोर्ट अपनी उस शर्त को हटा लो जिसमे ये कहा गया था कि वो किसी शो को प्रसारित नहीं करेगा. वकील ने दावा किया कि 280 लोग उसके साथ काम करते है, ये उनकी आजीविका का भी मसला है. अदालत चाहे तो शर्त लगा सकता है कि आगे से वो कोई आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल नहीं करेगा. रणवीर की ओर से पेश वकील ने मांग कि कोर्ट अपनी उस शर्त को हटा लो जिसमे ये कहा गया था कि वो किसी शो को प्रसारित नहीं करेगा.
केन्द्र सरकार की ओऱ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि मैंने भी उत्सकुतावश उस कार्यक्रम को देखा. अश्लीलता को छोड़िए, वो विकृत मानसिकता को दर्शाता है. पुरुष और महिला के साथ देखने की तो बात छोड़िए , मैं और AG एक साथ उस शो को नहीं देख सकते है. आप दोनो जज एक साथ बैठकर उसे नहीं देख सकते, ऐसे आदमी का कुछ दिन तक खामोश रहना ही ठीक है. उन्होंने राहत देने का विरोध किया.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर को मुंबई और गुवाहटी में जांच में शामिल होने को कहा है. साथ ही रणवीर इलाहाबादिया को अपना शो करने की इजाज़त दी. सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर को अंडरटेकिंग देने को कहा कि वो अपने शो में नैतिकता का स्तर बनाये रखेगा ताकि सभी उम्र के लोग उस शो को देख सके. कोर्ट ने कहा कि ये राहत इसलिए दी गई है क्योंकि इस शो से 280 लोगों की आजीविका जुड़ा है. कोर्ट ने कहा कि जहां तक विदेश जाने की इजाजत देने का सवाल है, जांच में शामिल होने के बाद भी इस मांग पर विचार हो सकता है.
समय रैना का नाम लिए बिना जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक आरोपी कनाडा जाकर अदालती कार्यवाही का मज़ाक बना रहा है. ये नई जनरेशन के लड़के ओवर स्मार्ट बनते है! उसे नहीं पता कि कोर्ट के पास कितनी शक्तियां हैं! वो जिम्मेदार नागरिक की तरह पेश आए अन्यथा हम जानते हैं कि ऐसे लोगों से कैसे डील करना है.
सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए मामले में केन्द्र सरकार को भी एक पार्टी बनाया है. कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा कि वो सोशल मीडिया ऑनलाइन कंटेट पर अश्लील, आपत्तिजनक कंटेंट को रोकने के लिए रेगुलेटरी मेकनिजम बनाए. इसके ड्राफ्ट को कोई क़ानूनी रूप देने से पहले तमाम स्टेकहोल्डर्स से सलाह-मशवरा ले.
(खबर जी मीडिया वायर इनपुट से)