आज श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच के सामने लगी. सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से विष्णु शंकर जैन ने एक बार फिर इस दलील को दोहराया कि ASI संरक्षित स्मारक होने के चलते इसका इस्तेमाल मस्जिद के तौर पर नहीं हो सकता. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ASI संरक्षित स्मारक क्या मस्जिद के तौर पर इस्तेमाल हो सकते है या नहीं, ये सवाल हमारे सामने पहले से पेंडिंग है. हम आगे इस पर विचार करेंगे. कोर्ट ने कहा कि वो बाकी मामलों के साथ 8 अप्रैल को मस्जिद कमेटी की अर्जी पर सुनवाई करेगा.
असल में यह मामला 18 याचिकाएं देवता और हिंदू भक्तों द्वारा दायर की गई हैं, जो शाही इदगाह को हटाने की मांग कर रहे हैं. उनका दावा है कि यह स्थल वास्तव में भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है और यहां पहले एक मंदिर था. इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट में हो रही है, जिसमें हिंदू पक्ष द्वारा ASI और भारत सरकार को जोड़ने के फैसले को सही ठहराया. लेकिन इस फैसले को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. आज इसी पर सुनवाई हुई है.
सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि चूंकि मस्जिद समिति अपने बचाव में 1991 के वार्शिप ऑफ प्लेसेस एक्ट का सहारा ले रही है, इसलिए मूल याचिकाकर्ता (हिंदू पक्ष) ASI और भारत सरकार को पक्षकार बनाने का अधिकार रखते हैं. सीजेआई ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होता है.
शाही मस्जिद कमेटी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता तस्नीम अहमदी ने कहा कि हुजूर, यह एक नया मामला है. चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि यह एक नया मामला नहीं है, क्योंकि उनके द्वारा उठाए गए बचाव को चुनौती देने का अधिकार याचिकाकर्ताओं को है.