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लेक्चरबाजी मत करो... इलाहाबाद हाई कोर्ट के विवादित फैसले को चुनौती देनेवाली PIL पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकारा

PIL में सुप्रीम कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को विवादित बताकर उसे हटाने के आदेश देने का अनुरोध किया गया था. 17 मार्च के दिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि इस केस में पीड़ित के ब्रेस्ट को पकड़ना,और पजामे के नाड़े को तोड़ने के आरोप के चलते ही आरोपी के खिलाफ रेप की कोशिश का मामला नहीं बन जाता.

सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Updated : March 24, 2025 2:19 PM IST

नाबालिग लड़की के साथ रेप की कोशिश से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के 17 मार्च को दिए विवादित फैसले को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार किया है. सुप्रीम कोर्टने कहा कि हम आर्टिकल 32 के तहत इस अर्जी पर सुनवाई नहीं कर सकते. याचिकाकर्ता अंजले पटेल की ओर से दायर इस याचिका में जजमेंट के उस विवादित हिस्से को हटाने की मांग की गई है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि इस केस में पीड़ित के ब्रेस्ट को पकड़ना,और पजामे के नाड़े को तोड़ने के आरोप के चलते ही आरोपी के खिलाफ रेप की कोशिश का मामला नहीं बन जाता. याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट केन्द्र सरकार/ हाई कोर्ट रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दे कि वो फैसले के इस विवादित हिस्से को हटाने के लिए आवेदन की प्रकिया शुरू करे. इसके साथ ही याचिका में मांग की गई है कि जजों की ओर से की जाने वाली ऐसी विवादित टिप्पणियों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट अपनी ओर से दिशानिर्देश जारी करें. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रदीप यादव पेश हुए. उन्होंने दलील की शुरूआत में कहा है कि हमारे यहां नारा है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि लेक्चरबाजी मत करो.

ब्रेस्ट पकड़ना, पजामी के नाड़े खींचना Attempt To Rape नहीं: HC

17 मार्च के दिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट से जुड़े मामले में रिवीजन पिटीशन पर सुनवाई करते हुए कहा था कि स्तन को दवाना, पजामे की नाड़े को खीचना और उसे सड़क से नीचे घसीट कर ले जाना, रेप के प्रयास के अपराध को आकर्षित नहीं करता है. इसके बाद हाई कोर्ट ने बताया कि अभियोजन पक्ष को यह साबित करना पडे़गा कि तैयारी और वास्तविक प्रयास के बीच का अंतर मुख्य रूप से अधिक निश्चितता में निहित है. वहीं मामले में पीड़िता की मां ने दावा किया कि आरोपियों ने घर छोड़ने के बहाने उसकी बेटी के स्तन दबाएं और पजामें की नाड़ी को तोड़ा. शिकायत के बाद पॉक्सो कोर्ट ने समन किया, जिसके बाद आरोपियों ने समन के खिलाफ हाई कोर्ट में रिवीजन पिटीशन दायर की.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि मामले में अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी पवन और आकाश ने पीड़िता के साथ दुर्व्यवहार किया और आकाश ने उसकी पैंट की डोरी तोड़ी, इस बात के लिए पर्याप्त नहीं है कि उन पर IPC की धारा 376, 511 या POCSO अधिनियम की धारा 376 के तहत मामला दर्ज किया जाए. अदालत ने कहा कि इस कार्यों से यौन हमले के प्रयास का आरोप स्थापित नहीं होता है. हलांकि अदालत ने कहा कि आरोपियों पवन और आकाश को IPC की धारा 354(b) (किसी महिला को नग्न करने का प्रयास करने का अपराध) के तहत बुलाने के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है, जिसमें किसी महिला के साथ बलात्कार करने का प्रयास या उसे नग्न करने के उद्देश्य से हमला किए जाने के आचरण को अपराध बनाता है.

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