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'ऐसी जनहित याचिका से सुरक्षा बलों का मनोबल मत तोड़िए', Pahalgam हमले की जांच कराने के मामले में Supreme Court की दो टूक

पहलगाम आतंकी हमले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि इस तरह की याचिका से सुरक्षा बलों का मनोबल कम होता है.

सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : May 1, 2025 3:13 PM IST

आज पहलगाम हमले को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बेहद गम्भीर वक़्त है. देश के हर एक नागरिक आंतकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक साथ खड़ा है. अब इसेमं कोई ऐसी मांग मत कीजिए, जिससे सेना के मनोबल पर असर पड़ता हो. ऐसे संजीदा वक़्त में आपको (याचिकाकर्ता) जिम्मेदारी से पेश आना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में रखी मांग पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आप रिटायर्ड जज से जांच चाहते हैं? क्या जज ऐसे मामलों की जांच करते हैं? यह याचिका पहलगाम आतंकवादी हमले से जुड़ी है. 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने अनंतनाग जिले के पहलगाम के ऊपरी इलाकों में लोकप्रिय पर्यटन स्थल बैसरन में गोलीबारी की, जिसमें 26 लोग मारे गए, जिनमें से अधिकतर दूसरे राज्यों से आए पर्यटक थे. आइये जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने जांच की मांग से जुड़ी याचिकाओं पर क्या कहा...

कोर्टरूम आर्गुमेंट

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने पहलगाम हमले की जांच की निगरानी के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं से नाखुशी जताते हुए कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश विशेषज्ञ नहीं होते.

पीठ ने कहा,

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‘‘इस महत्वपूर्ण समय में, देश के प्रत्येक नागरिक ने आतंकवाद से लड़ने के लिए हाथ मिलाया है. क्या आप इस तरह की जनहित याचिका दायर करके सुरक्षा बलों का मनोबल गिराना चाहते हैं? इस तरह के मुद्दे को न्यायिक क्षेत्र में न लाएं.’’

याचिकाकर्ता फतेश कुमार साहू और अन्य को जनहित याचिका वापस लेने के लिए कहा गया. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे इस मुद्दे की संवेदनशीलता को समझें और अदालत में ऐसी कोई प्रार्थना न करें जिससे सुरक्षा बलों का मनोबल गिरे.

पीठ ने एक अन्य याचिकाकर्ता से कहा,

‘‘आप सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच करने के लिए कह रहे हैं. वे जांच में विशेषज्ञ नहीं हैं, वे केवल किसी मुद्दे पर निर्णय ले सकते हैं. हमें आदेश पारित करने के लिए मत कहिए. आप जहां जाना चाहते हैं, वहां जाएं. बेहतर होगा कि आप याचिका वापस ले लें.’’

जनहित याचिका में केंद्र और जम्मू कश्मीर प्रशासन को पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस वक्त को इन मामलों की सुनवाई के अनुपयुक्त करार दिया है.