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'फर्जी' अनुमति से रिज क्षेत्रों काटे गए वसंत कुंज में पेड़... दिल्ली वन विभाग ने SC में चौंकाने वाला खुलासा, जानें हलफनामे में क्या-कुछ बताया

दिल्ली वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट को हलफनामे के माध्यम से बताया है कि वसंत कुंज के रिज क्षेत्र में एक आवासीय परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई के लिए उप वन संरक्षक के नाम का इस्तेमाल कर फर्जी अनुमति जारी की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट और पेड़ो की कटाई

Written by Satyam Kumar |Published : July 20, 2025 11:55 PM IST

दिल्ली वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट को एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि एक आवासीय परियोजना के लिए यहां वसंत कुंज के रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के लिए उप वन संरक्षक के नाम का इस्तेमाल कर फर्जी अनुमति जारी की गई.  पश्चिमी वन प्रभाग के उप संरक्षक ने पर्यावरण कार्यकर्ता भावरीन कंधारी की याचिका पर एक हलफनामा दायर किया था. याचिका में कहा गया है कि उक्त भूमि शीर्ष अदालत के नौ मई, 1996 के आदेश के तहत संरक्षित है. इसमें कहा गया था कि इस क्षेत्र में पेड़ों की कटाई या किसी भी प्रकार के बदलाव से पहले अदालत की पूर्व अनुमति आवश्यक है. इस याचिका में क्षेत्र में परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई और उक्त भूमि को समतल करने को लेकर प्राधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया गया है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ के 21 जुलाई को सुनवाई करने की संभावना है.

हलफनामे में कहा गया है कि प्रतिवादी के संज्ञान में आया है कि पेड़ों की कटाई के लिए उप वन संरक्षक/वृक्ष अधिकारी (पश्चिमी वन प्रभाग) के कार्यालय के नाम पर फर्जी अनुमति जारी की गई थी। यह राकेश कुमार शर्मा को जारी की गई थी. वन अधिकारी ने अपने हलफनामे में कहा कि पिछले साल 13 दिसंबर को उन्होंने वसंत कुंज पुलिस थाना प्रभारी को पत्र लिखा था जिसमें इस मामले पर संज्ञान लेने और कानून के संबंधित प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया था. कार्रवाई के बाद प्राथमिकी के तहत जांच कर रहे वसंत कुंज थाने के सहायक उपनिरीक्षक ने वन अधिकारी को जवाबी पत्र में लिखा कि कथित फर्जी अनुमति अपठनीय है.

सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि पुलिस अधिकारी ने अपने पत्र में यह भी कहा कि विवादित स्थान का पता नहीं लगाया जा सका और पूछताछ के दौरान राकेश कुमार शर्मा ने पेड़ों को काटने/नुकसान पहुंचाने के लिए जाली अनुमति प्राप्त करने के आरोप से इनकार किया. हलफनामे में दावा किया गया कि सहायक उपनिरीक्षक ने मामले को आगे बढ़ाने के लिए जाली अनुमति की मूल प्रति मांगी है, अन्यथा शिकायत बंद कर दी जाएगी. यह बताना जरूरी है कि केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) द्वारा भी यही कहा गया... और इसकी सूचना तीन मार्च, 2025 को पहले ही भेजी जा चुकी है. वन अधिकारी ने हलफनामे में कहा कि सहायक उपनिरीक्षक की रिपोर्ट के जवाब में उन्होंने 13 मार्च, 2025 को वसंत कुंज थाना प्रभारी को एक पत्र जारी किया था जिसमें कहा गया कि पहले प्रदान की गई जाली अनुमति/दस्तावेजों की प्रति ही उनके कार्यालय में उपलब्ध एकमात्र प्रति है.

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(खबर एजेंसी इनपुट से है)