यूपी में सिविल विवाद मामले को क्रिमिनलमामलों में बदलने की प्रवृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. सीजेआई संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) ने कहा कि यह कानून के शासन का पूर्ण उल्लंघन है. जमानत से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि यूपी में जो हो रहा है, वह गलत है. रोजाना सिविल मुकदमों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है, यह बेतुका है, सिर्फ पैसे न देने को अपराध नहीं बनाया जा सकता. दरअसल ग्रेटर नोएडा मे पैसे के लेनदेन के एक मामले को यूपी पुलिस ने सिविल केस की जगह क्रिमिनल केस बनाते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी थी. याचिकाकर्ता के दावा किया कि पुलिस ने पैसे लेकर मामले को क्रिमिनल बना दिया. अब इस मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह मे उत्तर प्रदेश के DGP और जांच अधिकारी को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है. अब 5 मई से शुरू होने वाले सप्ताह मे इस मामले पर अगली सुनवाई होगी.
आज चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने विश्वासघात, धमकी और आपराधिक साजिश के आरोप में दर्ज एफआईआर को रद्द करने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करने बैठी. मामले में याचिकाकर्ता पर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट की धारा 138 के तहत चेक बाउंस होने के अलावा, शिकायतकर्ताओं को कुछ धनराशि वापस नहीं करने के आरोप भी थे. सीजेआई ने गौर किया इस सिविल नेचर के मामले को क्रिमिनल रूप दिया गया है.
CJI ने कहा,
"यह गलत है! यूपी में क्या हो रहा है? हर दिन नागरिक मुकदमे आपराधिक मामलों में बदल रहे हैं। यह सही नहीं है! यह कानून के शासन का पूर्ण रूप से उल्लंघन है."
यूपी पुलिस द्वारा दीवानी प्रकृति के विवादों को गलत तरीके से आपराधिक मामलों में बदलने के चलन पर फटकार लगाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि समन करने का आदेश स्वयं कानूनी रूप से गलत था क्योंकि बकाया राशि वापस करने के लिए कोई अपराध नहीं बनाया जा सकता है.
यूपी राज्य के वकील ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में FIR को रद्द करने के लिए कोई दबाव नहीं डाला. हालांकि, CJI ने इस सबमिशन को स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा, "यह अजीब है कि यूपी में यह दिन-प्रतिदिन हो रहा है. वकील भूल गए हैं कि न्यायालय का भी कुछ क्षेत्राधिकार भी है."
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के DGP को हलफनामा दायर कर बताने को कहा है कि कि राज्य में शरिफ अहमद निर्णय के निर्देशों का पालन किया जा रहा है या नहीं. अदालत ने यह भी कहा कि यदि पुलिस निर्देशों का पालन नहीं कर रही है, तो उन पर लागत लगाई जाएगी.
वहीं, जांच अधिकारी को लेकर CJI ने कहा कि जांच अधिकारी को यह स्पष्ट करना होगा कि वर्तमान मामला में एक आपराधिक मुकदमा कैसे बनता है. उन्हें केस डायरी में इस बात का विस्तृत रूप से दर्ज करना था कि वर्तमान परिस्थितियों में एक आपराधिक मामला कैसे बनता है, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. अदालत ने कहा कि यदि केस डायरी प्रस्तुत की जाती है, तो IO को गवाह के कटखड़े में खड़े होकर यह बताना होगा कि यह मामला है. CJI ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह हास्यास्पद है कि केवल पैसे न देने को अपराध में बदला जा रहा है. उन्होंने IO को गवाह के बक्से में आने के लिए कहा और कहा कि हम IO को निर्देशित करेंगे, उन्हें यह सीखना होगा कि चार्जशीट कैसे दायर की जाती है.
उक्त निर्देशों को साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को मई महीने में तय किया है.