चीफ जस्टिस बी आर गवई के CJI बनने के बाद पहली महाराष्ट्र यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की 7 साल की वकालत प्रैक्टिस को देखते हुए राहत देते हुए 7000 रूपये का जुर्माना लगाया है. हालांकि, पिछले दिन इस याचिका पर सुनवाई करते वक्त बेंच ने कड़ा जुर्माना लगाने की बात कही थी. उस वक्त जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि दो बजे हम इस याचिका पर सुनवाई करेंगे और याचिकाकर्ता पर भारी जुर्माने के साथ याचिका ख़ारिज करेंगे! हालांकि, कल सुनवाई नहीं हो पाई थी. बताते चलें कि इस याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दे कि वो चीफ सेकेट्री, डीजीपी, कमिश्नर कर खिलाफ जांच करे.
आज जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि 'आप लोग सस्ती लोकप्रियता क्यों हासिल करना चाहते हैं? CJI ने खुद कहा है कि इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बताया जाना चाहिए! अधिकारियों से चूक हुई है, अधिकारियों ने खेद जताया है. हालांकि CJI ने उसे स्वीकार भी कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने गौर किया कि याचिकाकर्ता एक युवा वकील है जिसने 7 साल तक वकालत की है. इसे ध्यान में रखते हुए अदालत ने भारी जुर्माना लगाने से परहेज किया और 7000 रुपये का जुर्माना लगाया. अदालत ने स्पष्ट कहा कि उन्हें चीफ जस्टिस द्वारा जारी प्रेस नोट पर ध्यान देना चाहिए था.
चीफ जस्टिस ने कहा है कि एक मामूली मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जाना जाना चाहिए. सीजेआई ने सभी से अनुरोध किया है कि इस मामले को विराम दिया जाए. चीफ जस्टिस पद की शपथ लेने के बाद जस्टिस गवई महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में भाग लेने मुंबई गए थे. इस दौरान चीफ जस्टिस(सीजेआई) ने चौदह मई को शीर्ष पद पर पदोन्नत होने के बाद महाराष्ट्र की अपनी पहली यात्रा के दौरान उनकी अगवानी करने के लिए राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक या शहर के पुलिस आयुक्त की अनुपस्थिति पर ऐतराज जताया था. वहीं, घटना के सार्वजनिक होने के कुछ घंटों बाद, तीनों शीर्ष अधिकारी मुंबई के दादर में डॉबी आर आंबेडकर के महापरिनिर्वाण स्थल चैत्यभूमि में मौजूद थे, जब प्रधान न्यायाधीश संविधान निर्माता को वहां श्रद्धांजलि देने गए थे.