Advertisement

'कानून के जरिए दिया 'अधिकार' उसी से वापस लिया', Waqf by User की वैधता पर केन्द्र सरकार ने Supreme Court को दिया जबाव

केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कानून के क्रियान्वयन पर लगी अंतरिम रोक हटाते हुए कहा कि इस कानून से किसी का हित प्रभावित नहीं हुआ है और संसद को यह कानून बनाने का अधिकार है. उन्होंने जेपीसी द्वारा की गई व्यापक चर्चा, प्राप्त ज्ञापनों और विभिन्न मुस्लिम संस्थाओं से रायशुमारी का उल्लेख किया.

Waqf Act, Supreme Court

Written by Satyam Kumar |Published : May 21, 2025 12:10 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई बीआर गवई की पीठ वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. बीते दिन सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने अपना पक्ष रखा था. आज केन्द्र सरकार अपना पक्ष रही है. केन्द्र सरकार लगातार पिछले कई मौकों पर वक्फ अधिनियम के क्रियान्वयन पर लगी अंतरिम रोक को हटाने की मांग की है. आज फिर से, सीजेआई बीआर गवई की पीठ के सामने केन्द्र सरकार इन रोक को हटाने की मांग हटाने को लेकर अपनी दलील रख रही है.

SG तुषार मेहता ने कहा कि इस नए कानून के विरोध में जिन्होंने याचिका दाखिल की है, उनका कोई हित इस क़ानून के चलते प्रभावित नहीं हुआ है. कुछ लोग यह दावा नहीं कर सकते कि वो पूरे मुस्लिम समुदाय की नुमाइंदगी करते है, लेकिन क्या किसी क़ानून को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि जिस सरकार ने उसे पास किया, उसे उसे पारित करने का अधिकार नहीं था, पर यहां ऐसा नहीं है. संसद को ऐसा क़ानून लाने का अधिकार है.

एसजी तुषार मेहता ने आगे कहा कि जेपीसी ने इस कानून के हर पहलू पर चर्चा की. हमे 96 लाख ज्ञापन मिले. जेपीसी ने 36 मीटिंग की. विभिन्न मुस्लिम संस्थाओं के साथ रायशुमारी की गई. उनके सुझाव पर गौर किया और सदन में व्यापक चर्चा के बाद इस क़ानून को पास किया. इस नए कानून के विरोध में जिन्होंने याचिका दाखिल की है, उनका कोई हित इस क़ानून के चलते प्रभावित नहीं हुआ है. कुछ लोग यह दावा नहीं कर सकते कि वो पूरे मुस्लिम समुदाय की नुमाइंदगी करते है.

Also Read

More News

SG तुषार मेहता ने कहा कि किसी क़ानून को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि जिस सरकार ने उसे पास किया, उसे उसे पारित करने का अधिकार नहीं था, पर यहां ऐसा नहीं है. संसद को ऐसा क़ानून लाने का अधिकार है. जेपीसी ने इस कानून के हर पहलू पर चर्चा की. हमे 96 लाख ज्ञापन मिले. जेपीसी ने 36 मीटिंग की. विभिन्न मुस्लिम संस्थाओं के साथ रायशुमारी की गई. उनके सुझाव पर गौर किया. सदन में व्यापक चर्चा के बाद इस क़ानून को पास किया.

SG तुषार मेहता ने आगे कहा कि हमने 102 साल पुराने क़ानून की खामियों को दूर किया है. इस लिहाज से हमने कोशिश कि सभी हितधारकों से रायशुमारी की जाए. अल्पसंख्यक मंत्रालय को वक़्फ़ संपत्तियों के सही तरीके से प्रबंधन न होने,अतिक्रमण होने, वक्फ बोर्ड की ओर से अपने अधिकार के दुरुपयोग की शिकायत मिली थी. अहमदिया समुदाय जैसे पिछड़े वर्ग से ज्ञापन मिले.

लंच के बाद वक्फ संशोधन अधिनियम पर अपनी दलील को आगे बढ़ाते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने कहा कि सरकारी संपत्ति पर किसी को अपना कब्जा जमाने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है. ऐसी ज़मीन का मालिक पूरा देश है. सरकार को इस बात का अधिकार है कि वो जांच करे कि कोई संपत्ति सरकार की है या नहीं. सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वो सार्वजनिक ज़मीन पर कब्जा न होने दे. SG तुषार मेहता ने कहा कि इस केस में याचिकाकर्ता कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश कर रहे है कि नए कानून के सेक्शन 3 के तहत कमिश्नर की जांच फाइनल होगी. ये सही नहीं है. अगर कोई पक्ष कमिश्नर की जांच से संतुष्ठ नहीं है तो वक़्फ़ ट्रिब्यूनल जा सकता है. जब तक पूरी न्यायिक प्रकिया पूरी नहीं हो जाती तब तक वक़्फ़ की उस संपत्ति से बेदखली नहीं होगी. SG तुषार मेहता ने कहा कि वक़्फ़ कोई इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है( मतलब यह कोई परंपरा नहीं है कि अगर कोई वक़्फ़ नहीं कर रहा तो उसे दूसरों के मुकाबले कमतर आंका जाए . एसजी मेहता ने कहा कि वक़्फ़ बाय यूजर भी कोई अपने आप में मौलिक अधिकार नहीं है. अगर किसी क़ानून के ज़रिए कोई अधिकार किसी को दिया गया है तो दूसरे कानून के ज़रिए उसे वापस लिया जा सकता है.