नई दिल्ली: उपभोक्ता अधिकारों और जरूरतों के विषय में वैश्विक स्तर पर जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस (World Consumers Rights Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य यह है कि सभी उपभोक्ताओं के अधिकारों का सम्मान किया जाए और उनकी अनैतिक शोषण से रक्षा की जाए और बाजार के दुरुपयोग और इन अधिकारों का उल्लंघन करने वाले सामाजिक अन्याय का विरोध किया जाए.
इस अवसर पर यह जानना जरुरी है की उपभोक्ता संरक्षण क्या है? आपको बता दें की उपभोक्ता संरक्षण, बाजार में अनुचित प्रथाओं के विरुद्ध वस्तुओं या सेवाओं के खरीदारों की सुरक्षा का अभ्यास है. हमारे देश में उपभोक्ताओं के अधिकार संरक्षण के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 को बनाया गया है, जो उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करता है और उपभोक्ता विवादों का निपटारा करने में मदद करता है.
आपका उपभोक्ता के तौर पर अपने अधिकारों से भली-भांति परिचित होना, एक जागरूक उपभोक्ता का परिचय देता है. आइए जानते हैं, क्या है उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और इस अधिनियम के तहत निर्धारित उपभोक्ताओं के अधिकार.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 एक ऐसा अधिनियम है जिसका उद्देश्य उपभोक्ता के अधिकारों की रक्षा करना है और उन अधिकारों द्वारा उपभोक्ताओं को संरक्षण देना है. इस अधिनियम ने प्राधिकरण, प्रभावी प्रशासन और जागरूकता मंचों की स्थापना की है. इसके तहत उपभोक्ताओं के अधिकार परिभाषित किए गए हैं और उपभोक्ता को अनैतिक, या बेईमान व्यापारियों और सेवा प्रदाताओं से उत्पीड़न से बचाना, अनुचित व्यापार प्रथाओं, फ्रॉड विज्ञापनों आदि के मामलों से निपटना, इसका मुख्य उद्देश्य है.
यह अधिनियम उपभोक्ता संरक्षण परिषदों की स्थापना करके उपभोक्ताओं के अधिकारों और हितों की बेहतर सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है ताकि कोई विवाद उत्पन्न होने की स्थिति यह वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के माध्यम से उपभोक्ता शिकायतों का त्वरित और प्रभावी निदान करना है और उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन होने की स्थिति में उन्हें पर्याप्त मुआवजा प्रदान किया जा सके.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2(9) के तहत छ: उपभोक्ता अधिकारों को परिभाषित किया गया है. इन अधिकारों का विवरण इस प्रकार से है-
जीवन और संपत्ति के लिए जो खतरनाक और हानिकारक वस्तुओं और सेवाओं के विपणन (Marketing) से उपभोक्ता को सुरक्षित रहने का अधिकार है. यह अधिकार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के लागू होने से पहले कुछ मौजूदा अधिनियम के प्रावधानों से विकसित हुआ है, जैसे- खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954, कृषि उपज (ग्रेडिंग और विपणन) अधिनियम, 1937, ड्रग्स और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940, आदि.
उपभोक्ता जो वस्तु खरीदता है, उसे उसके बारे में सूचना का अधिकार है. वस्तुओं, उत्पादों या सेवाओं की गुणवत्ता(Quality), मात्रा(Quantity), सामर्थ्य(Affordability), शुद्धता(Accuracy), मानक(Standard) और कीमत(Price) के बारे में सूचित किया जाना उपभोक्ता का अधिकार है, ताकि उपभोक्ता को अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाया जा सके. इस अधिकार से उपभोक्ता बुद्धिमानी और जिम्मेदारी से कार्य करने में सक्षम होगा और दबाव वाली बिक्री तकनीकों का शिकार होने से बचाने में भी सक्षम होगा.
आज हम उन क्षेत्रों में एकाधिकार(monopoly) नहीं पाते, जो एक इंसान के लिए आवश्यक होते जा रहे हैं, जैसे FMCG, electronics, आदि. एक ही उत्पाद के कई निर्माता होने के कारण एकाधिकार प्रथा समाप्त हुआ और बाजार में प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित किया जिसके परिणामस्वरूप बेहतर विकल्प और प्रतिस्पर्धी कीमतें हुईं. अत: जहां भी संभव हो, उपभोक्ता के पास प्रतिस्पर्धी कीमतों(Competitive prices) पर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं, उत्पादों या सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने का अधिकार है.
विक्रेता द्वारा अनुचित और प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं के खिलाफ यदि कोई उपभोक्ता शिकायत करता है तो उसकी चिंताओं को दूर करने और उपभोक्ता कल्याण के लिए विचारों और दृष्टि का प्रतिनिधित्व करने के लिए, संबंधित मंचों पर उसे सुनवाई का अधिकार प्राप्त है.
इस अधिनियम की धारा 28, धारा 42 और धारा 53 के तहत क्रमशः जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विवाद निवारण आयोगों की स्थापना की गई है. अब उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से शिकायत करने और वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की अनुमति है.
विक्रेता द्वारा शोषण या गलत व्यापार व्यवहार किए जाने की स्थिति में संबंधित उपभोक्ता मंचों से पर्याप्त मुआवजा या विचार प्राप्त कर सकते हैं. अर्थात, उपभोक्ता के साथ किसी भी अनुचित व्यवहार के मामले में उपभोक्ताओं को निवारण की मांग करने का अधिकार है. इस अधिकार का मुख्य उद्देश्य विवाद निवारण का एक त्वरित(Speedy) और लागत प्रभावी(Cost effective) तरीका प्रदान करना है.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के उद्देश्य की सफलता के लिए उपभोक्ता का विभिन्न कानूनों के विभिन्न प्रावधानों से अवगत होनी आवश्यक है. उपभोक्ता जागरूकता का अधिकार, उपभोक्ता संबंधित जागरूकता और शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार के अर्थ को फैलाने और प्रत्येक नागरिक और उपभोक्ता को यह बताने पर केंद्रित है कि उपभोक्ता अधिकार क्या है और आपके लिए क्यों आवश्यक है. यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि, उपभोक्ता अधिकारों की जानकारी सभी उपभोक्ताओं को दी जानी चाहिए क्योंकि एक जागरूक उपभोक्ता ही अत्यधिक प्रतिस्पर्धी और कदाचार मुक्त बाजार व्यवस्था का आधार बन सकता है.