Advertisement

वकीलों पर लागू नहीं होगा कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, सुप्रीम कोर्ट ने NCDRC का फैसला पलटा, कहा-व्यवसाय से अलग है वकालती पेशा

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट से बाहर रखते हुए कहा कि कानून के तहत वकीलों के साथ व्यवसायियों के बराबर व्यवहार नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद वकीलों को अपने प्रदर्शन के लिए क्लाइंट को मुआवजा नहीं देना होगा.

वकीलों पर लागू नहीं होगा कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, सुप्रीम कोर्ट ने NCDRC का फैसला पलटा (सांकेतिक चित्र)

Written by Satyam Kumar |Updated : May 14, 2024 3:05 PM IST

Consumer Protection Act On Advocates: सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के वकीलों को राहत दिया है. वकीलों को कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 1986 (Consumer Protection Act) के तहत अपने क्लाइंट को मुआवजा नहीं देना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट विचार कर रही थी कि अगर किसी सर्विस या प्रोडक्ट के खराब होने पर बनाने वाली कंपनी को जिम्मेदार ठहराया जाता है, तो एक वकील को मुकदमा हारने या बहस के दौरान खराब प्रदर्शन करने पर क्लाइंट को मुआवजा देने के लिए जिम्मेवार क्यों नहीं ठहराया जा सकता है? तो डॉक्टरों से कैसे अलग है वकीलों का पेशा? सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के फैसले को खारिज करते हुए वकीलों को मुआवजा देने से राहत दी है. आइये जानते हैं सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा है...

सुप्रीम कोर्ट में, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने एनसीडीआरसी (NCRDC) के फैसले को खारिज किया है जिसमें कहा गया था कि Consumer Protection Act के सेक्शन 2 (O) के अंतर्गत आती है.

जस्टिस त्रिवेदी ने कहा,

Also Read

More News

"वकीलों के पेशे में उच्च स्तर की शिक्षा, कौशल और मानसिक श्रम की आवश्यकता होती है, दो किसी पेशेवर की सफलता के विभिन्न कारकों पर निर्भर होती है. इसलिए कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत पेशेवर के साथ व्यवसायियों के बराबर व्यवहार नहीं किया जा सकता है."

तो डॉक्टरों से कैसे अलग है वकीलों का पेशा?

बेंच ने डॉक्टरी को कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत लागू करने वाले फैसले को दोबारा से विचार करने के निर्देश दिए हैं. बेंच ने सीजेआई से निवेदन किया है कि वे VP Shantna vs Indian Medical Association (1995) के फैसले को दोबारा से विचार करने के लिए एक बड़ी बेंच के पास भेजें. इस मामले के अंदर डॉक्टरों को कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत जुर्माना देने को कहा है.

कैसे उपजा विवाद?

नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन ने एक फैसले में कहा कि वकील भी कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के दायरे में आते हैं. वकालती पेशे से जुड़े संस्थान और वकीलों ने आपत्ति जताई. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. वकीलों ने दलील दिया कि वे अपना विज्ञापन नहीं कर सकते हैं. इसलिए उनकी सेवाओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत नहीं लाया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पेशे की पेचीदगी है, जिसे सेवाओं में कमी का आरोप लगा कर उपभोक्ता फोरम के समक्ष सुनवाई नहीं की जा सकती है.