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हमारे देश में वकील क्यों नहीं कर सकते हैं अपने काम का प्रचार?

कानूनी पेशा एक ऐसा पेशा है जिसका काम केवल लोगों को न्याय दिलाना है ना कि व्यवसाय करना. इससे वकीलों और लॉ फॉर्म्स के बीच खराब प्रतियोगिता (Unhealthy Competition) होगी जिससे अनुचित व्यवहार (Unfair Practices) बढ़ेगा.

Written by My Lord Team |Published : March 21, 2023 11:02 AM IST

नई दिल्ली: विज्ञापन को एक सार्वजनिक सूचना कहा जाता है जिसका उद्देश्य होता है अपने उत्पाद या सेवा के बारे में अपने टारगेट ऑडियंस को बताना. लगभग हर संगठन या व्यक्ति इस माध्यम को अपनाता है लाभ पाने के लिए. लेकिन हमारे देश में एक ऐसा वर्ग भी है जो अपने काम का किसी भी संचार के माध्यम से प्रचार प्रसार नहीं कर सकते.

यकीनन आप सोच में पड़ गए होंगे कि किस सेक्टर या पेशे की बात हो रही है तो आपको बता दें कि हमारे देश में जो सबके अधिकारों के लिए लड़ने और न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले वकील लोग अपने काम को एडवर्टाइज या प्रमोट करने का अधिकार नहीं रखते, जानते हैं क्या है वजह.

किसी भी केस में वकील ही वह माध्यम होता है जो आम जनता से कानून को जोड़ता है. इसके बावजूद वो अपने काम के बारे में विज्ञापन नहीं कर सकते हैं क्योंकि उनके पास विज्ञापन करने का अधिकार ( Right to Advertisement) नहीं है जिसके बारे में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपने प्रावधान में बताया है.

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अपने क्लाइंट को अपने पास बुलाने के लिए या फिर क्लाइंट की संख्या को बढ़ाने के लिए या लाभ पाने के उद्देश्य से किसी भी माध्यम से किसी अधिवक्ता के द्वारा अपने काम का प्रचार करना ही कानूनी विज्ञापन कहलाता है.

The Bar Council of India के पास ये अधिकार है कि वो वकीलों से संबंधित कानून बनाए. इसलिए अधिवक्ता अधिनियम (Advocates Act) भी बनाया गया है. जिसके तहत Bar Council of India बनाया गया. बार काउंसिल ऑफ इंडिया को जो अधिवक्ता अधिनियम से ताकत मिली है उसी से अधिवक्ताओं के लिए नियम बनाए गए हैं.

उस नियम के धारा चार के नियम 36 (Duty to Colleagues) में बताया गया है कि कोई भी वकील या फिर लॉ फर्म ऑफलाइन या ऑनलाइन माध्यम से अपने काम का विज्ञापन नहीं कर सकते हैं.

इसके तहत क्या-क्या करना मना है

प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से प्रचार परिपत्रों, विज्ञापनों, व्यक्तिगत संचार या साक्षात्कारों के माध्यम से या अखबारों में टिप्पणियों या तस्वीरों को प्रस्तुत करने या प्रेरित करने के माध्यम से काम, मांग या अपना प्रचार प्रसार नहीं कर सकते हैं.

अगर कोई वकील किसी केस में शामिल है तो वो किसी भी संचार के माध्यम पर केस से संबंधित कमेंट नहीं कर सकता है.

एक वकील के नाम की साइन बोर्ड या नेम प्लेट, उपयुक्त आकार की होनी चाहिए. यह भी नहीं बताया जाना चाहिए कि वह अधिवक्ता, बार काउंसिल के अध्यक्ष या सदस्य हैं, या किसी एसोसिएशन के सदस्य हैं या वह किसी व्यक्ति या समूह से सम्बंधित हैं या वह जज या महाधिवक्ता रह चुके हैं या फिर काउंसिल ऑफ इंडिया के मेंबर हैं या प्रेसिडेंट हैं.

नियमों में बदलाव

वर्ष 2008 में वकीलों को राहत देते हुए बीसीआई ने नियमों में कुछ बदलाव किए थे जिसके तहत वकील या लॉ फर्म अपना वेबसाइट बना सकते हैं जिसमें अपना टेलिफोन नंबर,ईमेल आईडी, योग्यता (Qualification) और Area of Speciality के बारे में बता सकते हैं. इसके साथ उन्हे एक कानूनी घोषणा भी करनी होगी की उन्होंने जो जानकारी दी है वो पूरी तरह से सत्य है.

क्यों है प्रचार करने पर प्रतिबंध

कानूनी पेशा एक ऐसा पेशा है जिसका काम केवल लोगों को न्याय दिलाना है ना कि व्यवसाय करना. इससे वकीलों और लॉ फॉर्म्स के बीच खराब प्रतियोगिता (Unhealthy Competition) होगी जिससे अनुचित व्यवहार (Unfair Practices) बढ़ेगा.

विज्ञापन के खर्चे के कारण वकीलों की फीस भी बढ़ सकती है.

बड़े- बड़े लॉ फर्म्स छोटे लॉ फर्म्स का शोषण करेंगे.

वकील अपने काम के बजाय उससे मिलने वाले फायदे ( लाभ, फिस, उपहार) के बारे में ज्यादा सोचेंगे .