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Chief Justice और Acting Chief Justice की सैलरी और पेंशन में क्या अंतर होता है? जानिए

सर्वोच्च न्यायालय या किसी भी उच्च न्यायालय में एक एक्टिंग चीफ जस्टिस कब और क्यों नियुक्त किये जाते हैं और उनकी और चीफ जस्टिस की सैलरी और पेंशन में क्या अंतर होता है? आइए जानते हैं...

Acting Chief Justice vs Chief Justice - Salary and Pension

Written by Ananya Srivastava |Published : July 19, 2023 5:20 PM IST

नई दिल्ली: देश के हर उच्च न्यायालय (High Court) और उच्चतम न्यायालय में सभी न्यायाधीशों के एक प्रमुख होते हैं जिन्हें 'मुख्य न्यायाधीश' (Chief Justice) के रूप में जाना जाता है। एक मुख्य न्यायाधीश का क्या काम होता है, एक कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश यह जगह कब और किन परिस्थितियों में लेते हैं और दोनों की सैलरी-पेंशन में क्या अंतर होता है, आइए समझतें हैं.

मुख्य न्यायाधीश की भूमिका

न्यायपालिका में एक मुख्य न्यायाधीश की अहम भूमिका होती है; मुख्य न्यायाधीश अदालत के प्रशासन के लिए जिम्मेदार होते हैं, ये बाकी न्यायाधीशों को मामले आवंटित करते हैं, न्यायिक कार्यभार का वितरण करते हैं और सुनवाई हेतु पीठ का गठन करते हैं। एक मुख्य न्यायाधीश अदालत में एक्सेस से जुड़े जरूरी प्रोटोकॉल भी निर्धारित करते हैं।

कौन होते हैं कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश?

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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 224 के भाग VI (Part VI Article 224 of The Constitution of India) के अनुसार यदि कोई ऐसी परिस्थिति आए जिसमें उच्चतम न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश उपलब्ध न हों, काम न संभाल सकें, उनका किसी अन्य हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरण हो गया हो या फिर वो हाईकोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज हों और उनका जल्द रिटायरमेंट होने वाला हो, तो ऐसे में मुख्य न्यायाधीश की जगह एक कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (Acting Chief Justice) ले लेते हैं।

एक एक्टिंग चीफ जस्टिस जितने समय के लिए नियुक्त होते हैं, वो एक मुख्य न्यायाधीश के सभी फर्ज निभाते हैं। मुख्य न्यायाधीश और कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की सैलरी और पेंशन में क्या अंतर होता है, आइए समझते हैं।

'एक्टिंग चीफ जस्टिस' और 'चीफ जस्टिस' की सैलरी-पेंशन में अंतर

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक सुप्रीम कोर्ट हो या फिर कोई भी हाईकोर्ट, कार्यवाहक चीफ जस्टिस जितने दिन के लिए नियुक्त होते हैं, सिर्फ उस समय के लिए उन्हें चीफ जस्टिस जितनी सैलरी और पेंशन दी जाती है; उसके बाद उनकी सैलरी वापस एक साधारण जज (Puisne Judge) जितनी हो जाती है।

'उच्चतम न्यायालय न्यायाधीश (वेतन और सेवा शर्त) अधिनियम, 1958' (The Supreme Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Act 1958) के तहत देश के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) की हर महीने की सैलरी दो लाख अस्सी हजार रुपये (2,80,000/- रुपये) है और उनकी सालाना पेंशन सोलह लाख अस्सी हजार रुपये (16,80,000/- रुपये) है। एक सुप्रीम कोर्ट जज (Supreme Court Judge) को हर महीने दो लाख पचास हजार रुपये (2,50,000/- रुपये) सैलरी मिलती है और 15 लाख रुपये (15,00,000/- रुपये) साल के हिसाब से पेंशन दी जाती है।

'उच्च न्यायालय न्यायाधीश (वेतन और सेवा शर्त) अधिनियम, 1954' (The High Court Judges (Salaries and Conditions of Service) Act, 1954) के अनुसार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of a High Court) को हर महीने ढाई लाख रुपये (Rs. 2,50,000/-) सैलरी मिलती है और उनकी पेंशन पंद्रह लाख रुपये (Rs. 15,00,000/-) प्रति साल है। हाईकोर्ट जज की सैलरी दो लाख पच्चीस हजार रुपये (Rs. 2,25,000/-) प्रति माह होती है और उन्हें साढ़े तेरह लाख रुपये (Rs. 13,50,000/-) पेंशन दी जाती है।

बता दें कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को सिर्फ अपने इस टेन्योर में चीफ जस्टिस जितनी सैलरी और पेंशन मिलती है; इस बात को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अरुण मिश्रा (Justice Arun Mishra), न्यायाधीश एमआर शाह (Justice MR Shah) और न्यायाधीश बीआर गवई (Justice BR Gavai) की पीठ ने गौहाटी उच्च न्यायालय (Gauhati High Court) के पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस के श्रीधर राव (Justice K Shreedhar Rao) की एक याचिका के खिलाफ अपने फैसले में स्पष्ट किया था। इस मामले में फैसला पीठ ने 6 सितंबर, 2019 को सुनाया था।