नई दिल्ली: अक्सर ऐसा होता है जब हम किसी को अपना मकान रेंट पर देते हैं या किसी से लेते हैं तब समझौता (Agreement) को लेकर एक परेशानी होती है. हम सोचते हैं कि ऐसे में किस तरह का एग्रीमेंट बनाएं, लीज एग्रीमेंट या रेंट एग्रीमेंट. आपकी इस समस्या को दूर करने के लिए समझते हैं कि Lease एग्रीमेंट और Rent एग्रीमेंट में क्या अंतर है, और इस तरह का एग्रीमेंट साइन करने से पहले किन बातों का ख्याल रखना आवश्यक है.
रेंट को हिंदी में किराया और लीज को पट्टा कहा जाता है. दोनों ही एक प्रकार का एग्रीमेंट है. इस तरह का एग्रीमेंट किरायेदार और मकान मालिक के बीच किया जाता है. लेकिन दोनों ही एग्रीमेंट एक दूसरे से अलग होते हैं.
यह संपत्ति के मालिक और किरायेदार के बीच किया जाने वाला एक एग्रीमेंट है. कानूनी भाषा में, मालिक को पट्टेदार (Lessee) कहा जाता है. वहीं किरायेदार को पट्टा कर्ता (Lessor).
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 105 में पट्टा समझौते को परिभाषित किया गया है. इस धारा के अनुसार किसी "अचल संपत्ति का पट्टा समझौता एक संपत्ति का इस्तेमाल करने के अधिकार का हस्तांतरण है. इसमें संपत्ति को एक निश्चित अवधि के लिए पट्टा कर्ता को दिया जाता है. पट्टा कर्ता उस संपत्ति के इस्तेमाल के बदले समय - समय पर समझौते के शर्तो के अनुसार पट्टेदार (Lessee) को एक तय राशि का भुगतान करता है."
लीज एग्रीमेंट में कुछ शर्तें होती हैं, जिन शर्तों का अनुपालन करना दोनों ही पक्षों के लिए अनिवार्य होता है.
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 105 में "पट्टे" को परिभाषित किया गया है साथ ही कुछ शर्तें भी बताई हैं. जिसके अनुसार पट्टा समझौता को खत्म किया जा सकता है. यह अधिनियम कुछ अप्रत्याशित परिस्थितियों/शर्तों के अंतर्गत लीज को समाप्त करने का अधिकार देता है.
वहीं इस अधिनियम की धारा 108(B)(e) में कहा गया है कि लीज को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले तीन मानदंडों का पूरा होना जरूरी है:
1. कोई 'अप्रत्याशित स्थिति (Unexpected Situation)' जो टाली न जा सके यानि कुछ ऐसे हालात बन जाए जिसमें केवल उस एग्रीमेंट को खत्म करना ही एक रास्ता हो तो ऐसे में लीज को खत्म किया जा सकता है.
2. जिस काम के लिए संपत्ति को लीज पर दिया गया था उस काम के लायक वह संपत्ति नहीं रह जाती है तो ऐसे में भी पट्टे को खत्म किया जा सकता है.
3. मूल मालिक को पट्टा विलेख को अमान्य करने के पट्टेदार के निर्णय के बारे में सूचित किया जाना चाहिए.
जब भी किसी को किराये पर मकान दें तो रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाएं. रेंट एग्रीमेंट एक कानूनी दस्तावेज है. जो किरायेदार और मकान मालिक दोनों के लिए ही फायदेमंद होता है. हमेशा याद रखें कि जब भी आप कोई रेंट एग्रीमेंट बनाए तो वह एक साल से कम के लिए बनाए. ये आपके लिए फायदेमंद होगा. चलिए जानते हैं क्यों.
भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 (D) के अनुसार एक साल से कम के रेंट एग्रीमेंट और लीज एग्रीमेंट के लिए रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होती है. इसके कारण आपको रजिस्ट्रेशन पर फीस (Rent Agreement Registration Fee) नहीं देनी पड़ेगा.
रेंट एग्रीमेंट में निम्नलिखित चीजें शामिल की जाती हैं:
पट्टा एग्रीमेंट
किराया एग्रीमेंट