नई दिल्ली: भारत के विभिन्न कानूनों में संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 (Transfer of Property Act, 1882) काफी महत्वपूर्ण है। इस एक्ट की धारा 53 (Section 53) जो की संपत्ति को धोखाधड़ी से ट्रांसफर करवाने से सम्बंधित है। आइए इस धारा के बारे में जानते हैं और सजा हो सकती है यदि कोई ऐसा कृत्य करता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 (Transfer of Property Act, 1882) की धारा 53 के तहत 'संपत्ति के कपटपूर्ण स्थानांतरण' (Fraudulent Transfer) की बात की गई है। यह धारा कहती है कि हस्तांतरणकर्ता यदि किसी भी अचल संपत्ति के ट्रांसफर हस्तांतरी के अधिकारों के खिलाफ करता है, वह इस कानून के तहत मान्य नहीं होता है।
हस्तांतरणकर्ता पर लगाया गया यह प्रतिबंध सिर्फ तब लागू किया जाता है जब लिखित अनुबंध के हिस्से के प्रदर्शन में हस्तांतरी अचल संपत्ति का कब्जा लेता है। साथ ही, यह तब लागू होता है जब वह या तो अनुबंध के अपने भाग को निष्पादित कर चुका हो या करने के लिए तैयार हो।
हस्तांतरी को संपत्ति से बेदखल करने के लिए हस्तांतरणकर्ता अगर यह दावा करे कि साक्ष्य में कानूनी औपचारिकताएं पूरी नहीं हैं और संपत्ति का कानूनी शीर्षक अभी तक हस्तांतरी को हस्तरांतरित नहीं किया गया है, तो यह दावा काफी नहीं है।
हस्तांतरणकर्ता केवल इस दावे पर बेदखल नहीं कर सकता है कि साक्ष्य में कानूनी औपचारिकताओं (फॉर्मेलिटी) की अनुपस्थिति, जैसे कि बिक्री या हस्तांतरण का अनुबंध, पंजीकृत नहीं है या कानून द्वारा निर्धारित के रूप में पूरा नहीं हुआ है और संपत्ति का कानूनी शीर्षक अभी तक हस्तांतरी को हस्तरांतरित नहीं किया गया है।
इस तरह, हस्तांतरणकर्ता का शीर्षक के लिए दावा संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 53A के तहत वर्जित या रोक दिया गया है, जिससे हस्तांतरी को संपत्ति के अपने कब्जे और स्वामित्व की रक्षा करने का अधिकार मिल पाए। बता दें कि अनुबंध पर कम से कम हस्ताक्षर या मुहर लगी होनी चाहिए।
मूल रूप से, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, 1882 की धारा 53A का उद्देश्य हस्तांतरणकर्ता द्वारा हस्तांतरी के साथ होने वाले अन्याय को रोकना है। इस कानून के तहत हस्तांतरी अपनी संपत्ति पर अधिकार को बनाए रखने का मौका पाते हैं और उसे अपनी संपत्ति को संरक्षित रखने का उपाय मिलता है।