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क्या होता है पंचनामा? इसे तैयार करने में पुलिस किन बातों का ध्यान रखना पड़ता है

पंचनामा के दौरान स्थानीय लोगों की उपस्थिति में पुलिस घटनास्थल पर मौजूद सामग्रियों की खोज करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने ‘पंचनामा’ का  मुख्य उद्देश्य अधिकारियों के प्रति संभावित संदेह और अनुचित व्यवहारों से सुरक्षा प्रदान करना है.

पंचनामा करती पुलिस

Written by Satyam Kumar |Published : December 15, 2024 10:52 PM IST

जब भी देश में कोई अपराध होता है, तो पुलिस को घटनास्थल पर बुलाया जाता है, इसी तरह, जब किसी व्यक्ति की आकस्मिक या संदिग्ध मौत होती है, तो पुलिस वहां जाकर शव को कब्जे में लेती है और पंचनामे की कार्रवाई करती है. पुलिस क्राइम सीन पर जाकर पांच स्थानीय लोगों की उपस्थिति में घटनास्थल की जांच शुरू करती हैं, वहां मिली सामग्रियों के आधार पर पुलिस पंचनामा तैयार करती है.  पंचनामा, साक्ष्य के तौर पर और अपराध को साबित करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. आइए जानते हैं कि पुलिस प्रक्रिया में पंचनामा क्या होता है...

पंचनामा क्या है?

पंचनामा एक कानूनी प्रक्रिया है, जो तब की जाती है जब किसी व्यक्ति की मौत किसी घटना के कारण होती है या उसकी मौत संदिग्ध होती है. ऐसे में, मृतक के परिजनों या किसी अन्य व्यक्ति की सूचना पर पुलिस पांच व्यक्तियों को पंचांग के रूप में नियुक्त करती है. यह पंचनामा की जांच प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए कम से कम उपनिरीक्षक (Sub Inspector) स्तर का पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद होना आवश्यक है. पंचनामा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही पुलिस शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजती है. पोस्टमॉर्टम के माध्यम से चिकित्सा और वैज्ञानिक आधार पर मौत का वास्तविक कारण जाना जा सकता है.

पंचनामा की प्रक्रिया में पुलिस अधिकारी घटनास्थल का निरीक्षण करते हैं और वहां मौजूद साक्ष्यों को संकलित करते हैं. इसके बाद, पंचों द्वारा एक लिखित दस्तावेज तैयार किया जाता है, जिसमें घटनास्थल की स्थिति, मृतक की पहचान, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां शामिल होती हैं. यह दस्तावेज आगे की जांच के लिए महत्वपूर्ण होता है. भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act, 1972) की धारा 157 के तहत, यह प्रक्रिया न्यायालय में साक्ष्य के रूप में मान्यता प्राप्त करती है

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कैसे किया जाएगा पंचनामा?

याकूब अब्दुल रजाक मेमन बनाम महाराष्ट्र राज्य (Yakub Abdul Razak Memon vs. State of Maharashtra) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंचनामा करने के तरीकों के बारे में बात की है. पंचनामा के दौरान स्थानीय लोगों की उपस्थिति में पुलिस घटनास्थल पर मौजूद सामग्रियों की खोज करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने ‘पंचनामा’ का  मुख्य उद्देश्य अधिकारियों के प्रति संभावित संदेह और अनुचित व्यवहारों से सुरक्षा प्रदान करना है. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि पंचनामा यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि खोज के दौरान जो भी आपत्तिजनक सामग्री पाई जाती है, वह वास्तव में उस स्थान पर मौजूद है और अधिकारियों द्वारा नहीं डाली गई है. खोज प्रक्रिया के दौरान स्वतंत्र और सम्मानित व्यक्तियों की उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है, जो यह सुनिश्चित करता है कि खोज प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो.

सुप्रीम कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 100 के तहत वैध पंचनामा के अनिवार्य शर्तों को बताया;

  1. जांच अधिकारी (IO), पांच गवाहों की उपस्थिति में जांच खोजबीन करें, ताकि अदालत में यह विश्वास दिलाया जा सके कि घटनास्थल पर मौजूद सामग्रियों की जब्ती सही तरीके से की गई है.
  2. तलाशी की सभी प्रक्रियाओं को स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड किया जाना चाहिए, जिसमें जगह की पहचान और जब्त की गई वस्तुओं का विवरण शामिल हो.
  3. तलाशी के लिए निरीक्षक अपने अधीनस्थों की सहायता ले सकते हैं और उच्च अधिकारियों के हस्ताक्षर भी आवश्यक हैं.
  4. पंचनामा में स्थान, पुलिस स्टेशन का नाम, अधिकारी का रैंक, पंच गवाहों के विवरण और समय का उल्लेख होना चाहिए.
  5. पंचनामा पर पंच गवाहों और जांच अधिकारी (आईओ) के हस्ताक्षर होने चाहिए.
  6. किसी भी तरह की ओवरराइटिंग या सुधार निषिद्ध है.
  7. यदिअदालती वारंट के बिना तलाशी होती है, तो आईओ को कारणों का डॉक्यूमेंट में बताना चाहिए और तलाशी ज्ञापन जारी करना चाहिए. ये प्रक्रियाएं जांच के दौरान उचित कानूनी अनुपालन सुनिश्चित करती हैं.

बता दें कि उचित प्रक्रियाओं का पालन करके बनाया पंचनामा को अदालत साक्ष्य के तौर पर स्वीकृति दे सकती हैं. वहीं, अगर उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है, तो अदालत उसकी स्वीकृति देने से इंकार कर सकती .