नई दिल्ली: संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1882 की धारा 53A को समझने के लिए सबसे पहले हमें समझना होगा कि हस्तांतरी और हस्तांतरणकर्ता किसे कहते हैं और धारा 53A के तहत हस्तांतरणकर्ता किन हितों का हस्तांतरण कर सकता है. मान लिजिए राम ने श्याम से 50 लाख में फ्लैट खरीदने के लिए एक समझौता किया है. राम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए एडवांस में सात लाख रुपये का भुगतान भी करता है. उसके बाद बाकी बचे हुए पैसे भी राम उचित समय के अंदर भुगतान कर देता है. जिसके बाद श्याम का वो फ्लैट पूरी तरह से राम के कब्जे में आ जाता है. यहां राम एक हस्तांतरी (Transferee) हो गया वहीं श्याम हस्तांतरणकर्ता (Transferor) हो गया.
लेकिन श्याम, राम के साथ हुए समझौते को खत्म करना चाहता है क्योंकि उसे माधव (तीसरे पक्ष) से उस फ्लैट के लिए ज्यादा पैसे मिल रहे हैं. फिर श्याम फ्लैट का मालिक होने के अधिकार के नाते राम से फ्लैट का कब्जा वापस करने को कहता है. यहां श्याम का दिया गया तर्क मान्य हो सकता है लेकिन यह राम के साथ अन्याय होगा. इसलिए यहां संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1882 की धारा 53A एक रक्षक के रुप में काम करती है.
यह भारत सरकार द्वारा बनाया गया कानून है जिसे 1 जुलाई, 1882 को लागू किया गया. इस अधिनियम के अनुसार जीवित व्यक्तियों के बीच संपत्ति के हस्तांतरण का प्रावधान है. इस तरह से एक हस्तांतरण को तभी वैध माना जा सकता है जब लेनदेन दो जीवित व्यक्तियों के बीच हो. संपत्ति शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है इसलिए सभी प्रकार की संपत्ति जैसे चल और अचल संपत्ति पर यह कानून लागू होता है.
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1882 की धारा 53 A में भागिक पालन के संबंध में बताया गया हैं. यह धारा संपत्ति अंतरण अधिनियम में सन 1929 में जोड़ी गई है.
संपत्ति का हस्तांतरण “"Nemo dat quod non habet" (literally mean "no one can give what they do not have"-जिसका शाब्दिक अर्थ है "कोई भी वह नहीं देता जो उनके पास नहीं है") एक कानूनी नियम है, जिसमें कहा गया है कि हस्तांतरणकर्ता, हस्तांतरी को केवल उन हितों का हस्तांतरण कर सकता है जो वह स्वयं रखता है.
अधिनियम की धारा 5 के अनुसार, संपत्ति के हस्तांतरण का अर्थ, एक जीवित व्यक्ति द्वारा संपत्ति को दूसरे जीवित व्यक्ति या व्यक्तियों, या स्वयं और एक या अधिक व्यक्तियों को हस्तांतरित करना है. संपत्ति को देना वर्तमान या भविष्य में हो सकता है, लेकिन उक्त कार्य किया जाना चाहिए. इसके अलावा, अधिनियम की धारा 8 में कहा गया है कि जब एक हस्तांतरणकर्ता एक अचल संपत्ति को हस्तांतरी को हस्तांतरित करता है, तो वह संपत्ति से संबंधित सभी अधिकारों और हितों का भी हस्तांतरण करता है.
किसी संपत्ति को हस्तांतरण करने के विभिन्न तरीके हैं;
1.त्याग
2.बिक्री;
3.उपहार;
4.अल्पकालिक बंधक (शॉर्ट टर्म मॉर्गेज);
5.पट्टा (लीज); और,
6.लीव (Leave) और लाइसेंस समझौता
शब्द “हस्तांतरण” एक प्रक्रिया के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिसके तहत एक संपत्ति को दूसरे व्यक्ति को दिया जाता है. हस्तांतरण एक लेन-देन बताता है जिसमें एक पक्ष एक संपत्ति का कब्जा खो देता है और दूसरा पक्ष पूर्व से इस तरह के कब्जे को लेता है. कुछ आवश्यक तत्व हैं जो एक वैध हस्तांतरण का गठन करते हैं. वे इस प्रकार हैं:
1929 में संशोधन के माध्यम से अधिनियम में धारा 53A को जोड़ने का उद्देश्य आंशिक प्रदर्शन के अंग्रेजी सिद्धांत को अपनाना था, यह सिद्धांत एक समानता का सिद्धांत है. साथ ही हस्तांतरणकर्ता की ओर से धोखाधड़ी और दुर्व्यवहार जैसे अपराध को अंजाम देने से रोकना है. जो ऐसी स्थिति में गैरकानूनी लाभ लेने की कोशिश करता है.
अधिनियम में धारा 53 A को शामिल करके, उन घटनाओं में संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित रखने का मौलिक उद्देश्य प्राप्त किया जाता है जहां हस्तांतरणकर्ता समझौते के अपने हिस्से की जिम्मेदारी को पूरा करने से इनकार करके दुर्भावनापूर्ण और बेईमानी से काम करता है.
धारा का उद्देश्य हस्तांतरी के साथ होने वाले अन्याय को रोकना भी है. यदि हस्तांतरी, जिसने अनुबंध के तहत अपने दायित्वों को इस उम्मीद में पूरा किया है कि दूसरा पक्ष भी ऐसा ही करेगा, को किसी भी सहारा से वंचित कर दिया गया, तो यह घोर अन्याय होगा. यह धारा हस्तांतरी को संपत्ति के अपने अधिकारपूर्ण कब्जे को बनाए रखने के लिए एक उपाय देती है.
इस धारा के अनुसार हस्तांतरणकर्ता ने जिस संपत्ति को हस्तांतरित कर दिया है उससे जुड़े किसी भी अधिकार का वो इस्तेमाल नहीं कर सकता है अगर समझौते में हस्तांतरी के लिए यह शर्ते दी गई है तो. हस्तांतरणकर्ता पर यह प्रतिबंध तभी लागू होता है जब लिखित अनुबंध के सभी शर्तों को पूरा करते हुए हस्तांतरी अचल संपत्ति पर कब्जा कर लेता है या फिर सभी शर्तों को पूरा करने के लिए तैयार है. ऐसे में हस्तांतरणकर्ता केवल इस दावे पर संपत्ति को देने से मना नहीं कर सकता या बेदखल नहीं कर सकता कि सबूतों में कानूनी फॉर्मेलिटी पूरी नहीं की गई है ।
जैसे बिक्री या हस्तांतरण का अनुबंध, पंजीकृत नहीं है या कानून द्वारा निर्धारित के रूप में पूरा नहीं हुआ है और संपत्ति का कानूनी शीर्षक अभी तक हस्तांतरी को हस्तांतरित नहीं किया गया है. इस प्रकार, हस्तांतरणकर्ता द्वारा किसी भी दावा को करने से धारा 53A रोक लगाती है, जिससे हस्तांतरी को संपत्ति के अपने कब्जे और स्वामित्व की रक्षा करने का अधिकार मिलता है. हालांकि, अनुबंध पर कम से कम हस्ताक्षर या मुहर लगी होनी चाहिए.