यह मामला भूमि अधिग्रहण और मुआवजे से जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सर्किल रेट करने को लेकर अहम दिशानिर्देश जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सर्किल रेट, साइंटिफिक तरीके से तय की जानी चाहिए और अगर इसे में मार्केट विशेषज्ञ की मदद लेनी पड़े या कमेटी बिठानी पड़े तो, राज्य सरकार इन तरीकों का भी सहारा ले सकते हैं. यह मामला मध्य प्रदेश सरकार के भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 (LARR Act, 2013) से जुड़ा है. इसमें मुख्य मुद्दा यह था कि क्या 2013 के अधिनियम के तहत 'कटौती का सिद्धांत' (अविकसित भूमि के लिए मुआवजे को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है) लागू होता है, या मुआवजे का निर्धारण केवल स्टाम्प शुल्क-सर्किल रेट (कलेक्टर के दिशानिर्देश) के आधार पर किया जाना चाहिए.वहीं आयुक्त ने राज्य सरकार द्वारा निर्धारित अधिसूचित सर्किल रेट के अनुसार भूमि अधिग्रहण मुआवजे का निर्धारण किया गया था. फलस्वरूप सर्किट रेट के अनुसार मुआवजे की राशि बढ़ाने के बाद, अपीलकर्ता मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए मुआवजे में कटौती के लिए तर्क दिया (यह दावा करते हुए कि भूमि अविकसित थी और अवसंरचना लागत की आवश्यकता थी).
वहीं, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 2013 के अधिनियम के तहत कटौती के सिद्धांत को अस्वीकार करते हुए, आयुक्त द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि को बरकरार रखा. अपीलकर्ता मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. आइये जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर क्या कहा..
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने कहा, सर्किल रेट किसी क्षेत्र में संपत्तियों के बाजार मूल्य का सरकारी अनुमान होता है. इनका सही निर्धारण नागरिकों पर उचित वित्तीय बोझ डालने और राज्य के राजस्व संग्रहण को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बढ़े हुए सर्किल रेट से खरीदारों पर अनुचित वित्तीय बोझ पड़ता है, और उन्हें अधिक धनराशि का भुगतान करना पड़ता है. सर्किल रेट के कम आंकलन से राज्य को पर्याप्त स्टांप शुल्क नहीं मिल पाता है, जिससे राज्य के राजस्व में कमी आती है. बाजार मूल्य को दर्शाते सर्किल रेट राज्य के लिए उचित राजस्व संग्रह सुनिश्चित करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, आयकर अधिनियम, 1961 की धाराएं 43CA, 45, 49, 50C और 55 सर्किल रेट का उल्लेख करती हैं और संपत्तियों के स्टांप शुल्क मूल्य को शामिल करती हैं. सर्किल रेट प्रत्यक्ष कर प्रशासन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं. जब कुछ इलाकों में सर्किल रेट बाजार मूल्य से अधिक पाए गए, तो केंद्र सरकार को आयकर अधिनियम में संशोधन करना पड़ा. इसके परिणामस्वरूप, आयकर अधिनियम में संशोधनकर टैक्स की सीमा को 5% से बढ़ाकर 10% कर दिया गया. यह कदम राज्य और नागरिकों के बीच एक संतुलन बनाने के लिए उठाया गया था. सर्कल रेट्स का सही निर्धारण न केवल राज्य के लिए राजस्व संग्रह को सुनिश्चित करता है, बल्कि यह नागरिकों के लिए भी वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है. सरकारों को चाहिए कि वे इस मुद्दे पर ध्यान दें और एक ऐसा तंत्र विकसित करें जो सभी के लिए फायदेमंद हो.
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि इस मामले में, आयुक्त ने कलेक्टर के दिशानिर्देशों का उपयोग करके गैर-परिवर्तित कृषि भूमि के लिए निर्धारित दर का उपयोग किया है, जिसमें भूमि से जुड़ी संपत्तियों और देय मुआवजे को भी शामिल किया गया है. अपीलकर्ता मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने तर्क दिया कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित सर्किल रेट बहुत अधिक हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने इस अपील को खारिज करते हुए कहा कि यदि सर्किल रेट गलत हैं, तो राज्य सरकार को उसे सुधारना चाहिए, न कि अदालत में कमी की मांग करनी चाहिए.
मध्य प्रदेश के 2018 के नियम भूमि की कीमत को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों को व्यापक रूप से संबोधित करने का प्रयास करते हैं, जिससे भूमि की कीमतों के अधिक सटीक मूल्यांकन का आधार बनता है. मुआवजे का निर्धारण करने के लिए, पहले भूमि के बाजार मूल्य की गणना अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की धारा 26 के तहत की जानी चाहिए, जिसके अनुसार भूमि के बाजार मूल्य के कैल्कुलेशन में स्टाम्प अधिनियम के तहत निर्धारित सर्किल रेट को प्राथमिकता दी जाती है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार या उसके अधीन विकास निगम द्वारा सर्किल दर पर आपत्ति नहीं की जा सकती है. यदि सर्किल रेट बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई है या वास्तविक बाजार मूल्य को नहीं दर्शाती है, तो राज्य सरकार को सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए. नागरिकों को अधिसूचित सर्किल दर पर स्टांप शुल्क का भुगतान करना होता है, इसलिए सार्वजनिक प्राधिकरणों को भी उसी का पालन करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट मामले में आयुक्त द्वारा सर्किल रेट के आधार पर मुआवजे के भुगतान के निर्देश देने वाले पुरस्कार की गणना को सही ठहराया और अपीलकर्ता, मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम की अपील खारिज कर दी.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को सर्किल रेट निर्धारित करने में मध्य प्रदेश सरकार के कानून को आइडियल बताते हुए अपने क्षेत्राधिकार में सर्किल रेट में सुधार उपायों के लिए इसका सहारा लेने के निर्देश दिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस नियम में अचल संपत्ति के मूल्य का निर्धारण करते समय ध्यान में रखने योग्य तथ्यों का उल्लेख है. मध्य प्रदेश में सर्किल रेट मध्य प्रदेश भूमि मूल्य निर्धारण और पुनरीक्षण दिशानिर्देश नियम, 2018 के अनुसार तय किए जाते हैं. ये नियम स्टाम्प अधिनियम द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अनुसार बनाए गए हैं.
अचल संपत्ति के मूल्य का निर्धारण करते समय, भूमि के वर्गीकरण (सिंचित/असिंचित, परिवर्तित/अपरिवर्तित आदि) को ध्यान में रखा गया है.
आस-पास की भूमि का मूल्य अचल संपत्ति के मूल्यांकन में एक महत्वपूर्ण कारक है. यदि आस-पास की भूमि का मूल्य अधिक है, तो मूल्यांकन में यह भी ध्यान में रखा जाएगा और संपत्ति का मूल्य भी अधिक आंका जा सकता है. इसके विपरीत, यदि आस-पास की भूमि का मूल्य कम है, तो संपत्ति का मूल्य भी कम आंका जा सकता है.
केस टाइटल: मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम बनाम विंसेंट डैनियल और अन्य ( Madhy Pradesh Road Development Corporation VS Vincent Daniel and Ors)