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'यूपी सरकार Community Mediation के माध्यम से विवाद को सुलझाने का करें प्रयास', संभल जामा मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने ASI सर्वे को सीलबंद रखने के साथ यूपी सरकार (UP Government) को दोनों पक्षों के बीच सामुदायिक मध्यस्थता (Community Mediation) करने के निर्देश दिए है. अब सुप्रीम कोर्ट ने संभल जामा मस्जिद की सुनवाई 6 जनवरी को करेगी.

'यूपी सरकार Community Mediation के माध्यम से विवाद को सुलझाने का करें प्रयास', संभल जामा मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

Written by Satyam Kumar |Published : November 29, 2024 2:49 PM IST

संभल जामा मस्जिद मामले (Sambhal Jama Masjid) में सुप्रीम कोर्ट ने आज की निचली अदालत में होनेवाली कार्यवाही पर रोक लगा दिया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मामले को 6 जनवरी तक स्थगित करते हुए कहा कि जब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट मुस्लिम पक्ष की याचिका पर अपना फैसला नहीं सुनाती है तब तक निचली अदालत इस मामले में कोई सुनवाई नहीं करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने ASI सर्वे को सीलबंद रखने के साथ यूपी सरकार (UP Government) को दोनों पक्षों के बीच सामुदायिक मध्यस्थता (Community Mediation) करने के निर्देश दिए है. बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय का ये फैसला संभल जामा मस्जिद कमेटी की याचिका के खिलाफ आया, जिसमें ASI सर्वे के उजागर होने पर रोक लगाने की मांग की गई थी.

सामुदायिक मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाए विवाद

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) और जस्टिस संजय कुमार (Justice Sanjay Kumar) की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को मौखिक तौर कहा कि राज्य कम्युनिटी मेडिएशन के सहारे इस मामले को सुलझाने का प्रयास करें.

अदालत ने कहा,

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"आपस में शांति और सद्भाव बनाए रखा जाना चाहिए. इस मामले में किसी भी प्रकार की अनहोनी नहीं होनी चाहिए. अदालत ने नए मध्यस्थता अधिनियम की धारा 43 का उल्लेख किया, जिसमें जिला प्रशासन को शांति समितियाँ बनाने की आवश्यकता है, जिसमें सभी समूहों के सदस्यों शामिल होंगे."

बहस के दौरान अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि मध्यस्थता अधिनियम 2023 (Mediation Act, 2023) की धारा 43 'समुदाय मध्यस्थता' के सहारे मामले को सुलझाने के निर्देश दिए हैं.

क्या कहती है मध्यस्थता कानून की धारा 43?

सामुदायिक मध्यस्थता को उन विवादों को सुलझाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जो किसी इलाके में निवासियों के बीच शांति, सद्भाव और शांति को बाधित कर सकते हैं. इस प्रक्रिया में शामिल पक्षों की पूर्व आपसी सहमति की आवश्यकता होती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विवादों को सौहार्दपूर्ण और प्रभावी ढंग से सुलझाया जा सकता है, जिससे समुदाय के भीतर एक शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा मिलता है.

मध्यस्थता कानून की धारा 43 (1) के अनुसार, किसी भी क्षेत्र या स्थान में निवासियों या परिवारों के बीच शांति, सद्भाव और शांति को प्रभावित करने वाले किसी भी विवाद को हल किया जा सकता है. इसमें विवाद के पक्षों की आपसी सहमति आवश्यक है. समुदायिक मध्यस्थता का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर सामुदायिक संबंधों को मजबूत करना है.

धारा 43 (2) के अनुसार, किसी भी पार्टी को विवाद को मध्यस्थता के लिए संदर्भित करने के लिए संबंधित प्राधिकरण या जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन करना होगा. वहीं, धारा 43 (3) के अनुसार प्राधिकरण या मजिस्ट्रेट विवाद के निपटारे के लिए तीन सदस्यीय समुदाय मध्यस्थों (Community Mediators) का पैनल बनाएंगे. धारा 43 (4) सब डिविजनल मजिस्ट्रेट स्थायी समुदाय मध्यस्थों के पैनल की अधिसूचना समय-समय पर संशोधित की जा सकती है.

वहीं, मध्यस्थता कानून की धारा 43 (5) में पैनल में शामिल होनेवाले सदस्यों की चर्चा की गई है, जिसके अनुसार,

  1. समिति में शामिल किए जाने वाले व्यक्तियों में समुदाय में सम्मानित और ईमानदार व्यक्ति शामिल हो सकते हैं
  2. स्थानीय व्यक्तियों को शामिल किया जा सकता है जिनका कार्य समाज में योगदान मान्यता प्राप्त है
  3. क्षेत्र या निवासी कल्याण संघों का प्रतिनिधि समिति में हो सकता है
  4. मध्यस्थता के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले व्यक्तियों को भी शामिल किया जा सकता है
  5. साथ ही इस पैनल में महिलाओं और अन्य वर्गों की प्रतिनिधित्वों को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए

क्या है मामला?

जामा मस्जिद कमेटी ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से सर्वे के फैसले पर दोनों पक्षों को सुने बिना किसी फैसले पर ना पहुंचने का अनुरोध किया है. याचिका में सर्वे के रिपोर्ट को प्रकाशित होने पर रोक लगाने की मांग भी की गई है.

  • मस्जिद के सर्वे के आदेश देने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगे (सर्वे के आधार पर आगे कोई कार्रवाई न हो).
  • अभी इस जगह पर यथास्थिति कायम रखी जाए.
  • सर्वे कमिश्नर की रिपोर्ट को सीलबंद कवर में रखा जाए.
  • सुप्रीम कोर्ट निर्देश जारी करे कि ऐसे मामलो में सभी पक्षो को सुने बिना ऐसा सर्वे का कोई आदेश न जारी करे. कानूनी राहत के विकल्प आजमाने का मौका दिए बगैर सर्वे के आदेश लागू न हो.

बता दें कि संभल में 24 नवंबर को हिंसा भड़क उठी जब प्रदर्शनकारी मस्जिद के पास एकत्र हुए और सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गए. हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. मामले में पुलिस की ओर से 700 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है.