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पॉक्सो अधनियम की धारा 19: नाबालिग के साथ यौन शोषण अपराध की सूचना पर पुलिस कैसे करेगी कार्रवाई?

सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट की धारा 19 (6) का जिक्र करते हुए कहा कि यौन शोषण के अपराध के बारे में पुलिस को जानकारी मिलने के चौबीस घंटे के भीतर मामले की सूचना बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee) और विशेष न्यायालय (Special Court) को दे. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि पश्चिम बंगाल राज्य ने इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया. 

सांकेतिक चित्र

Written by Satyam Kumar |Updated : August 23, 2024 1:04 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कलकत्ता हाईकोर्ट के पॉक्सो केस के आरोपी को बरी करने की सजा को खारिज करते हुए कहा कि राज्य अपने दायित्व को निभाने में असफल रहा है. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि नाबालिग बच्चे के साथ यौन अपराध की जानकारी मिलने के बाद आगे की कार्यवाही के लिए स्पेशल कोर्ट को सूचित करना राज्य का काम है, जिसे करने में वे असफल रहे. सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट की धारा 19 (6) का जिक्र करते हुए कहा कि यौन शोषण के अपराध की जानकारी मिलने के चौबीस घंटे के भीतर पुलिस को मामले की सूचना बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee) और विशेष न्यायालय (Special Court) को देना होता है. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि पश्चिम बंगाल राज्य ने इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया.

 POCSO Act की धारा 19: बाल शोषण के अपराधों की सूचना कैसे दी जाएगी

POCSO अधिनियम की धारा 19 इस प्रकार है:

“19. अपराधों की रिपोर्टिंग.-

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(1) दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) में निहित किसी भी बात के होते हुए भी, कोई भी व्यक्ति (जिसमें बच्चा भी शामिल है) जिसे यह आशंका है कि इस अधिनियम के तहत कोई अपराध होने की संभावना है या उसे इस बात की जानकारी है कि ऐसा कोई अपराध हुआ है तो वह इस सूचना निम्नलिखित को देगा,—

(क) विशेष किशोर पुलिस इकाई (Special Juvenile Police Unit); या

(ख) स्थानीय पुलिस (Local Police)

POCSO Act की धारा 19 (2): शिकायत को दर्ज करने का तरीका

प्रत्येक शिकायत को

(क) एंट्री नंबर दी जाएगी और शिकायत को लिखित रूप में दर्ज करेगी.

(ख) जानकारी/शिकायत देने वाले को पढ़कर सुनाया जाएगा;

(ग) पुलिस यूनिट द्वारा रखी जाने वाली FIR कॉपी में दर्ज किया जाएगा

POCSO Act की धारा 19 (3): जब शिकायत बालक खुद दर्ज कराए तो

(3) जहां उप-धारा (1) के अंतर्गत शिकायत किसी बालक द्वारा दी जाती है, वहां उसे उप-धारा (2) के अंतर्गत सरल भाषा में दर्ज किया जाएगा ताकि बालक दर्ज की जा रही पूरी बात को समझ सके.

POCSO की धारा 19 (4): अनुवादक का प्रयोग

(4) यदि विषय-वस्तु ऐसी भाषा में रिकार्ड की जा रही है जिसे बच्चा नहीं समझ सकता या जहां भी यह आवश्यक समझा जाए, वहां यदि बच्चा उसे समझने में असफल रहता है तो उसे एक अनुवादक या दुभाषिया उपलब्ध कराया जाएगा, जिसके पास ऐसी योग्यताएं, अनुभव हो और जो निर्धारित शुल्क का भुगतान करे.

POCSO Act की धारा 19 (5): पीड़ित की सुरक्षा का इंतजाम

(5) जहां विशेष किशोर पुलिस इकाई या स्थानीय पुलिस को यह विश्वास हो कि जिस बालक के विरुद्ध अपराध किया गया है, उसे देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है, तो वह लिखित में घटना दर्ज करने के बाद उसे ऐसी देखभाल और सुरक्षा देने की तत्काल व्यवस्था करेगी, जिसमें रिपोर्ट के चौबीस घंटे के भीतर बालक को आश्रय गृह या निकटतम अस्पताल में भर्ती कराना भी शामिल है.

POCSO Act की धारा 19 (6): पुलिस यौन शोषण के अपराध की शिकायत अदालत से करेगी

(6) विशेष किशोर पुलिस इकाई या स्थानीय पुलिस अनावश्यक विलम्ब के बिना, किन्तु चौबीस घंटे की अवधि के भीतर मामले की रिपोर्ट बाल कल्याण समिति और विशेष न्यायालय को या जहां कोई विशेष न्यायालय नामित नहीं किया गया है, वहां सत्र न्यायालय को देगी, जिसमें बालक की देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता और इस संबंध में उठाए गए कदमों का विवरण भी शामिल होगा.

POCSO Act की धारा 19 (7): जानकारी देनेवाले व्यक्ति को राहत

(7) कोई भी व्यक्ति उपधारा (1) के अनुसार जानकारी देनेवाले व्यक्ति, चाहे वह सिविल हो या आपराधिक, किसी तरह के दायित्व का वहन नहीं करना पड़ेगा

पॉक्सो एक्ट की धारा 21: बाल यौन शोषण के अपराध की जानकारी नहीं देने पर होगी कार्रवाई

इस कानून के तहत वह व्यक्ति जो ऐसे अपराध को अंजाम देता है केवल वही अपराधी नहीं है बल्कि वह जिसके सामने या जिसकी जानकारी में यह सब अपराध हो रहा है और वह सब कुछ जानते हुए भी छुपाता है तो वह भी पॉक्सो एक्ट के धारा 21 के तहत अपराधी माना जाएगा.

कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने पाया दोषी

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि POCSO Act की धारा 19 (6) के तहत पुलिस ने घटना जानकारी मिलने के चौबीस घंटे के भीतर मामले की सूचना बाल कल्याण समिति (CWC) और विशेष न्यायालय को दे. ऐसा कोई भी अभिलेख नहीं है जिससे पता चले कि मामले की सूचना सीडब्ल्यूसी को देकर नियमों की अनुरूपतता बरकरार रखी हो.

Title: IN RE: RIGHT TO PRIVACY OF ADOLESCENTS