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देश में राष्ट्रीय आपातकाल संविधान के किस आर्टिकल के तहत घोषित हुआ? जानिये ऐसा अब तक कितनी बार हुआ है

राष्ट्रीय आपातकालीन प्रावधान भारत के संविधान के भाग अठारह (Part XVIII) में अनुच्छेद 352 (Article 352 ) में निहित हैं .

National Emergency in india , Article 352 of Indian Constitution

Written by My Lord Team |Published : June 26, 2023 2:07 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय संविधान में देश जब किसी संकटकाल की स्थिति से गुजर रहा होता है, तो ऐसे में राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency ) घोषित करने की अनुमति देता है। संविधान में राष्ट्रीय आपातकालीन के प्रावधान क्या हैं? आपातकाल की घोषणा कौन करता है. आइये जानते है

भारत में राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति शासन की उस अवधि को संदर्भित करती है जिसे कुछ संकट स्थितियों के दौरान भारत के राष्ट्रपति द्वारा घोषित किया जा सकता है. मंत्रियों की कैबिनेट की सलाह के तहत, राष्ट्रपति संविधान के कई प्रावधानों को खारिज कर सकते हैं, जो देश के नागरिकों को मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है।

राष्ट्रीय आपातकालीन प्रावधान भारत के संविधान के भाग अठारह (Part XVIII) में अनुच्छेद 352 (Article 352 ) में निहित हैं . ये प्रावधान केंद्र सरकार को किसी भी असामान्य स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम बनाते हैं।निगमन के पीछे तर्कसंगतता देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा, लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था और संविधान की रक्षा करना है.

अनुच्छेद 352 -राष्ट्रीय आपातकाल

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राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर की जा सकती है। संविधान इस प्रकार के आपातकाल को दर्शाने के लिए 'आपातकाल की उद्घोषणा' अभिव्यक्ति का प्रयोग करता है.

घोषणा के आधार

इस अनुच्छेद के तहत, राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा तब कर सकते हैं जब भारत या इसके किसी हिस्से की सुरक्षा को युद्ध या बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह से खतरा हो.

राष्ट्रपति युद्ध या सशस्त्र विद्रोह या बाहरी आक्रमण की वास्तविक घटना से पहले भी राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है.

जब 'युद्ध' या 'बाह्य आक्रमण' के आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की जाती है , तो इसे 'बाह्य आपातकाल' कहा जाता है. दूसरी ओर, जब इसे 'सशस्त्र विद्रोह' के आधार पर घोषित किया जाता है, तो इसे 'आंतरिक आपातकाल' के रूप में जाना जाता है।'सशस्त्र विद्रोह' यह शब्द 44 वें संशोधन (44 th Amendment ) से डाला गया है. इस शब्द से पहले इसे आंतरिक अशांति के रूप में जाना जाता था।

25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच देश में 21 महीने तक आपातकाल लगाया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी (Indira Gandhi) के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की.

25 जून और 26 जून की मध्य रात्रि में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के हस्ताक्षर करने के साथ ही देश में पहला आपातकाल लागू हो गया हैं। आज से 48 साल पहले 25 जून और 26 जून की मध्य रात्रि में राष्ट्रीय आपातकालीन लागू कर दी गई थी.

अब तक 3 बार लगाया जा चुका है राष्ट्रीय आपातकालीन

देश में सबसे पहले राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा अक्टूबर 1962 में ‘नेफा (NEFA) नार्थ फ्रंटियर एजेंसी’ जिसे अब अरुणाचल प्रदेश कहा जाता है, में चीनी आक्रमण के दौरान लागू किया था इस समय देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल थे. यह आपातकाल लगभग 6 साल चला था जिसके कारण 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध की स्थिति में अलग से नए राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा नहीं करनी पड़ी थी.

दूसरे राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा दिसम्बर 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध शुरू होने की दशा में की गयी थी. इस आपातकाल के प्रभावी रहते हुए ही तीसरे आपातकाल की घोषणा 25 जून 1975 को की गयी थी. दूसरे और तीसरे आपातकाल की घोषणाएं मार्च 1977 में समाप्त की गयीं थीं.

यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि पहली और दूसरी दोनों घोषणाएं बाह्य आक्रमण के आधार पर जबकि तीसरी घोषणा आंतरिक विद्रोह के आधार पर लागू की गयी थी.