नई दिल्ली: हमारे समाज में विवाह को एक ऐसा बंधन माना जाता है जिसकी गांठ भरोसे पर ही टिकी होती है. विवाह के बाद किसी और के साथ संबंध बनाना या विवाह का झांसा देना या पहली पत्नी के होते हुए दूसरी बार विवाह के बंधन में बंधना आये दिन हो रहे इस तरह के मामले विवाह के रिश्ते को भी अपराध की ओर ले जा रहे हैं. समाज में ऐसे अपराध को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं.
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC) 1860 के तहत कई धाराओं में विवाह से जुड़े अपराध के बारे में बताया गया है और साथ ही दोषी को क्या सजा हो सकती है उसके बारे में भी प्रावधान किया गया है.
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये किस तरह का अपराध है. IPC की धारा 493 के अनुसार अगर कोई पुरुष किसी महिला को ये गलत विश्वास दिलाकर कि उनका विवाह वैध तरीके से हो चुका है, शारीरिक संबंध बनाता है तो ऐसे व्यक्ति को अपराधी माना जाएगा.
इस धारा के तहत ऐसे अपराधी को १० वर्षों की जेल की सजा हो सकती है साथ ही जुर्माना भी देना पड़ सकता है.
आईपीसी की धारा 494 में ऐसे अपराध का जिक्र किया गया है. इस अपराध के अंतर्गत, पति या पत्नी के रहते हुए भी बिना तलाक लिए दूसरी बार विवाह करना. इस धारा में यह बताया गया है कि अगर कोई पति या पत्नी के जीवित होते हुए दूसरी बार विवाह करता है तो एक तो उस विवाह को शून्य माना जाएगा और दूसरा कि ऐसा करने वाला व्यक्ति दोषी माना जाएगा.
इस अपराध के लिए दोषी को सात साल तक की जेल की सजा हो सकती है और जुर्माना भी देना पड़ सकता है.
इस धारा में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी व्यक्ति के पहले विवाह को अदालत ने कानूनी रूप से खत्म कर दिया है और वह व्यक्ति दोबारा विवाह करता तो वह अपराध नहीं माना जाएगा.
या फिर ऐसे पति या पत्नी जो सात साल से साथ नहीं रह रहे हैं और वह किसी और से अपने पहले विवाह के बारे में बता कर विवाह करते है तो उसे भी अपराध नहीं माना जाएगा.
IPC की धारा 495 के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति धारा 494 में बताए गए नियम के खिलाफ जाकर दूसरा विवाह करता है यानि कि वो विवाह करने से पहले अपने दूसरे पार्टनर को अपने पहले विवाह के बारे में नहीं बताता है तो वह दोषी माना जाएगा.
इस अपराध के लिए दोषी को १० साल की जेल की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
यदि कोई व्यक्ति बेईमानी या धोखा देने के इरादे से यह जानते हुई भी विवाह की प्रक्रिया को करेगा कि यह विवाह विधिपूर्वक नहीं हुआ है तो वह विवाहित नहीं कहलाएगा.
धारा 496 के तहत ऐसा व्यक्ति दोषी माना जाएगा जिसके लिए उसे सात साल तक की जेल की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.