Community Service As Punishment: नए अपराधिक कानून एक जुलाई से लागू हो चुकी हैं. नए अपराधिक कानून में सामुदायिक सेवा (Community Service) को सजा के तौर पर शामिल किया गया है. भारतीय दंड संहिता (IPC) में ऐसा नहीं था, पहली बार भारतीय न्याय संहिता में 'सामुदायिक सेवा' को सजा के तौर पर शामिल किया है. छोटे मोटे अपराधों में व्यक्ति को जेल में बंद करने की जगह सेवा की सजा देकर रिहा किया जा सकेगा, ऐसा करने से जेलों में भीड़ की समस्या को कम किया जा सकेगा.
सामुदायिक सेवा का अर्थ ऐसे कार्य है जिसे अदालत द्वारा समुदाय के हित के लिए किसी दोषी व्यक्ति को सजा के रूप में देने का आदेश दिया जाता है. आइये आपको बताते हैं कि भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत निम्नलिखित अपराधों में सामुदायिक सेवा को सजा के रूप में दिया जाएगा;
बीएनएस की धारा 202: लोकसेवक, जो विधिविरूद्ध रूप से व्यापार में लगा है.
बीएनएस की धारा 209: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा के 84 के अधीन किसी उद्-घोषणा के जवाब में गैर-हाजिरी के मामले में सामुदायिक सजा देने का प्रावधान है.
बीएनएस की धारा 226: कानून के विरूद्ध जाकर शक्ति का प्रयोग करने या प्रयोग करने से विरत रहकर आत्महत्या करने के प्रयास के मामले में सामुदायिक सेवा की सजा दी जाएगी.
बीएनएस की धारा 303(2): चोरी के मामले में जहां चोरी की गई संपत्ति का मूल्य पांच हजार रूपये से कम है और व्यक्ति को पहली बार दोषी ठहराया गया है. ऐसे मामले में आरोपी को सामुदायिक सेवा करने की सजा मिलेगी.
बीएनएस की धारा 355: मत्त (पिये हुए या मतवाला) व्यक्ति द्वारा पब्लिक प्लेस में अवचार (कदाचार, दुर्व्यवहार) करने वाले व्यक्ति को भी सामुदायिक सेवा करने की सजा दी जाएगी.
बीएनएस की धारा 356: मानहानि के मुकदमे में भी सामुदायिक सेवा करने की सजा दी जाएगी.
किसी व्यक्ति द्वारा उपरोक्त मामले में, जैसे भारतीय न्याय संहिता की धारा 202, 209, 226, 303(2), 355 और 356 के तहत अपराध में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को अदालत सामुदायिक सेवा करने को सजा के तौर पर दे सकती है.