नई दिल्ली: कारों और अन्य वाहनों की शुरुआत ने लोगों को एक नए अनुभव का आनंद लेने और एक नए कौशल को सीखने का अवसर तो दिया है लेकिन इसके साथ ही इसने मृत्यु, गंभीर चोट, गंभीर दुर्घटनाओं और अन्य क्षतियों के कारण होने वाली विभिन्न घटनाओं के लिए भी प्रवेश द्वार खोल दिया है.
आए दिन खबरों में सड़क दुर्घटनाओं के बारे में आप सुनते ही होंगे और ज़्यादातर मामलों में गलती गाड़ी चलाने वालों की ही होती है. लोग बेपरवाह होकर गाड़ी चलाते हैं, जिसके कारण दिन पर दिन सड़क दुर्घटना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं.
इन्ही बातों को मद्देनज़र रखते हुए, भारतीय मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव किए गए हैं और जुर्मानों की राशि को बढ़ा दिया गया है, लेकिन ज़्यादातर लोगों को यह नहीं पता है कि रैश ड्राइविंग के लिए भारतीय दंड सहिंता (Indian Penal Code) के तहत भी आपराधिक कार्रवाही की जा सकती है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी वाहन को एक सार्वजनिक मार्ग पर किसी तरह की जल्दबाजी या लापरवाही से चलाता है, जिससे मानव जीवन को कोई संकट या किसी व्यक्ति को चोट पहुंच सकती है, तो उस व्यक्ति पर इस धारा के अंतर्गत मुकदमा दर्ज़ किया जाएगा और कार्यवाही होगी.
IPC की धारा 279 के तहत दोष साबित करने के लिए यह साबित किया जाना अनिवार्य है कि व्यक्ति एक सार्वजनिक मार्ग पर लापरवाही से वाहन चला रहा था. सार्वजनिक मार्ग के अंतर्गत फुटपाथ, गलियां, सड़कें, राजमार्ग इत्यादि आते हैं.
दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 6 महीने तक की जेल की सजा हो सकती है और एक हज़ार रुपये (1000) तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है या दोनों दंड भी दिए जा सकते हैं.
यह एक जमानती और संज्ञेय अपराध है और इस तरह के अपराध में अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार किया जा सकता है. इस अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता.
प्रफुल्ल कुमार राउत बनाम उड़ीसा राज्य के मामले में, दुर्घटना स्कूल के सामने हुई थी, इसी को ध्यान में रखते हुए उड़ीसा हाईकोर्ट ने घोषित किया था कि ड्राइवरों को शैक्षणिक संस्थानों के पास वाहन चलाते समय सतर्क और धीमा होना चाहिए. इस मामले में इसी प्रावधान के तहत आरोपी को दोषी पाया गया था.
IPC की धारा 337 के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति के उतावलेपन या लापरवाही के कारण, किसी अन्य व्यक्ति के जीवन को हानि या किसी कि व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरा या चोट पहुंचती है, तो उस व्यक्ति पर इस धारा के अंतर्गत मुकदमा दर्ज़ किया जाएगा.
इस धारा के अपराध में दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 6 महीने की जेल या पांच सौ (500) रुपये के जुर्माने या दोनों की सजा हो सकती है.
IPC की धारा 338 के तहत जो कोई व्यक्ति लापरवाही से किसी भी कार्य को करके किसी भी व्यक्ति को भयानक या गंभीर चोट पहुंचाता है, जिसके परिणामस्वरूप मानव जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डाला जाता है, तो उस व्यक्ति पर इस धारा के अंतर्गत मुकदमा दर्ज़ किया जाएगा.
इस तरह के अपराध में दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को 2 साल की जेल या दो हज़ार (2000) रुपये के जुर्माने या दोनों की सजा हो सकती है.