नई दिल्ली: जनता की सुरक्षा के लिए तो पुलिस है लेकिन, पुलिस आपके साथ हर वक्त नहीं रह सकती है. अगर किसी व्यक्ति को अपनी सुरक्षा को लेकर कोई खतरा लग रहा है तो, आत्मरक्षा के लिए वह हथियार के लिए आवेदन कर सकता है. आर्म्स एक्ट 1959 में आम जनता को अपनी सुरक्षा के लिए हथियार रखने का प्रावधान हैं.
देश का कानून आपको अपनी सुरक्षा के लिए तो हथियार रखने की इजाजत देता है लेकिन इसके जरिये किसी पर हमला करने, धमकाने, या सार्वजनिक नुमाईश करने की इजाजत नहीं देता है. ऐसा करने वाले को कानून दोषी मानता है और पकड़े जाने पर उन्हे सजा भी दी जाती है. आईए जानते हैं एक व्यक्ति अपने पास कितनी बंदूकें रख सकता है.
शस्त्र अधिनियम (Arms Act), 1959, के तहत हमारे देश में कोई भी नागरिक अपनी आत्मरक्षा के लिए प्रशासन से लाइसेंस लेकर हथियार खरीद सकता है. हथियार का लाइसेंस देने के लिए राज्य के गृह मंत्रालय और जिलाधिकारियों को शक्ति दी गई है.साथ ही जिन जगहों पर कमिश्नरेट लागू हो गए हैं, वहां पर हथियारों के लाइसेंस पुलिस कमिश्नर जारी करते हैं.
कब तक और कितनी बंदूकें रखने की इजाज़त
साल 2019 में शस्त्र अधिनियम (Arms Act),1959 में कुछ संशोधन किए गए हैं. नए नियम के अनुसार एक व्यक्ति अपने पास अधिकतम दो बंदूकें रख सकता है. संशोधन से पहले बंदूक का लाइसेंस तीन साल के लिए मिलता था, लेकिन अब लाइसेंस की अवधि पांच साल कर दी गई है. पांच साल बाद फिर से रिन्यू करवाना होता है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि लाइसेंस रिन्यू के दौरान भी लाइसेंसधारक को दोबारा पूरी जांच की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.
बंदूक का लाइसेंस पाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) या एसपी (SP) के कार्यालय में जाकर आवेदन देना पड़ता है या ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं. आवेदन देने के बाद उसे एसपी के कार्यालय भेजा जाता है, एसपी में जाने के बाद उसे स्थानीय पुलिस स्टेशन भेजा जाता है. स्थानीय पुलिस स्टेशन में आवेदन जाने के बाद पुलिस वेरिफिकेशन होता है, पुलिस वेरिफिकेशन के बाद उसकी रिपोर्ट डीएम को भेजी जाती है.
रिपोर्ट के आधार पर DM तय करते हैं की आवेदक को बंदूक का लाइसेंस दिया जाय कि नहीं, सिर्फ रिपोर्ट सही होने पर ही बंदूक का लाइसेंस मिल सकता, रिपोर्ट सही होने के बावजूद अगर डीएम को लगे कि बंदूक का लाइसेंस नहीं देना चाहिए तो नहीं भी दे सकते हैं.
बंदूक का लाइसेंस लेने के लिए सरकारी पहचान प्रमाण होना जरूरी है जैसे;आधार कार्ड, वोटर कार्ड या कोई और सरकारी पहचान पत्र, पते का सबूत जैसे की बिजली का बिल या ऐसे ही कोई और बिल या डॉक्युमेंट, आयु प्रमाण पत्र जिससे कि पता चले की उम्र कम से कम 21 वर्ष है (स्पोर्ट्स गन के लिए कम से कम 16 वर्ष की उम्र), चरित्र प्रमाण पत्र ताकि पता चले की बंदूक का लाइसेंस लेने वाले व्यक्ति के ऊपर कोई आपराधिक केस तो नहीं चल रहा है, आय की जानकारी ताकि पता चले की आवेदक टैक्स भरता है की नहीं (टैक्स भरने वाले को ज़िम्मेदार नागरिक माना जाता है),अपनी संपत्ति के बारे में और किसी से उधार या लोन लिए है तो उसके बारे में बताना भी ज़रूरी है.
लाइसेंस लेने की प्रक्रिया को जटिल माना जाता है क्योंकि इसकी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं हैं. अलग - अलग हथियार के लिए अलग- अलग नियम हैं. कई लोगों को एक महीने में ही मिल जाता है, तो कई लोगों को पूरा साल इंतजार करना पड़ता है.
सरकार की ओर से जो आधिकारिक हथियार की दुकानें होती हैं, आप उन्हीं से हथियार खरीद सकते हैं. वहां पर भी आपको लाइसेंस के बंदूक के बारे में पूरी जानकारी दर्ज करनी पड़ती है. हथियार खरीदने के बाद इसे प्रशासन के पास ले जाना होता है, वहां पर लाइसेंस और खरीदे गए हथियार की सारी डिटेल मिलाई जाती है और रिकॉर्ड में दर्ज कराई जाती है. साथ ही थाने में इसे रजिस्टर कराना होता है. इन प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही कोई बंदूक को लाइसेंस के साथ अपने घर लेकर जा सकता है.
हथियार के साथ-साथ गोलियों का भी लाइसेंस मिलता है. गोलियों के लिए एक फिक्स कोटा होता है. केंद्र सरकार ने एक साल में 200 गोलियों का कोटा रखा है. ये हर राज्य सरकार पर निर्भर करता है वो उनकी संख्या कम या ज्यादा कर सकते हैं. एक बार में एक व्यक्ति अपने पास 100 गोलियां रख सकता है.
हथियार और राज्य के हिसाब से इसकी लाइसेंस लेने की फीस तय होती है. राज्य सरकार अपने हिसाब से लाइसेंस की फीस तय करते हैं.
अधिकार के साथ जिम्मेदारियां भी आती है. अगर आपको हथियार दी जाती है तो आपको पास साथ में इससे संबंधित जिम्मेदारी भी आती है वो इस तरह है;
.लाइसेंस हथियार का इस्तेमाल दिखावे या रुतबा साबित करने में नहीं किया जा सकता है.
.किसी शादी -ब्याह, पार्टी या उत्सव के समय खुशी जताने में इसका उपयोग नहीं हो सकता.
. किसी को डराने- धमकाने के लिए लाइसेंसी हथियार का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं.
. जिस व्यक्ति के नाम हथियार है केवल वही आत्मरक्षा के लिए चला सकता है.
.किसी और को बेच नहीं सकते.
.शिकार, मनोरंजन में इस्तेमाल करना वर्जित है.
. हथियार के नाम पर गुंडागर्दी नहीं कर सकते हैं.
. प्रशासन जब चाहे तब हथियार को जब्त कर सकती है अक्सर ऐसा चुनाव के समय होता है.
अगर किसी व्यक्ति की बंदूक के लिए लाइसेंस लेने के बाद मृत्यु हो जाती है. तो ऐसे में कोई भी उस बंदूक को नहीं रख सकता ऐसा करना अपराध माना जाता है. ऐेसे स्थिति में लाइसेंस और बंदूक जमा करानी होती है. उसे आप कहीं भी जमा करा सकते हैं, बंदूक स्टोर या पुलिस लाइन में.