सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) की समयपूर्व रिहाई को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. ये याचिका मृतक जिला मजिस्ट्रेट जी कृष्णैया (District Magistrate) की पत्नी उमा देवी ने दायर की. पूर्व सांसद आनंद मोहन को भीड़ द्वारा जिला मजिस्ट्रेट की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा है, जिसमें बिहार सरकार ने उन्हें समय से पहले ही रिहाई दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सांसद को अपना पासपोर्ट स्थानीय पुलिस स्टेशन में जमा करने और एक पखवाड़े (15 दिन) के आधार पर वहां रिपोर्ट करना होगा.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने आनंद मोहन को निर्देश देते हुए कहा हैं कि वे अपना पासपोर्ट तुरंत स्थानीय पुलिस स्टेशन में जमा करें और हर पखवाड़े (15 दिन ) में पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करें. कोर्ट ने आनंद मोहन को बिना अनुमति के बिहार से बाहर जाने पर भी रोक लगाया है.
साल, 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन को 24 अप्रैल 2023 को बिहार सरकार ने रिहा कर दिया था. बिहार सरकार ने उन्हें ये राहत 14 साल की सजा काटने के बाद दी. वहीं, जिला मजिस्ट्रेट जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने उनकी रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
याचिकाकर्ता ने कहा कि पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई बिहार सरकार द्वारा राज्य माफी नीति में संशोधन के बाद मिली है, जहां पुरानी नीति में 20 साल पूरे होने से पहले दोषी माफी के लिए अयोग्य था. इस फैसले से लोक सेवकों का मनोबल गिराने के समान होंगे. याचिकाकर्ता का यह तर्क है कि छूट नीति, जो अपराध के समय प्रचलित थी, लागू करने की मांग की.