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हमारे कानून में अपराध को कितने श्रेणी में बांटा गया है- जानिए यहां

सभी अपराध समान नहीं होते हैं और उन्हें अलग-अलग उपाय की आवश्यकता होती है. दंड प्रक्रिया संहिता में मुख्यत: दो तरह के अपराधों का वर्णन किया गया है.

Cognizable Offence and Non Cognizable Offence

Written by My Lord Team |Published : June 23, 2023 10:08 AM IST

नई दिल्ली: हमारे समाज में अपराध हर दिन के साथ बढ़ता ही जा रहा है. कुछ अपराध बहुत गंभीर प्रवृत्ति के होते हैं तो कुछ हल्के. हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि किसी अपराधी को सजा देने के लिए पहले उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए और फिर पुलिस द्वारा उससे पूछताछ की जानी चाहिए.

इस तरह, मामला अदालत में जाने तक चरण दर चरण एक उचित प्रक्रिया का पालन किया जाता है. हालांकि, सभी अपराध समान नहीं होते हैं और उन्हें अलग-अलग उपाय की आवश्यकता होती है. दंड प्रक्रिया संहिता में मुख्यत: दो तरह के अपराधों का वर्णन किया गया है. संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध. आइये जानते क्या है ये संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध.

संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध की परिभाषा आपराधिक प्रकिया संहिता ( 1973) की धारा 2 (C) और 2 (L) में दी गई है.

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संज्ञेय अपराध

इस अधिनियम की धारा 2 (सी) कहती है कि ऐसा अपराध जिसमें पुलिस किसी व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार कर सकती है, वह संज्ञेय अपराध कहलाता है. पुलिस के पास संज्ञेय अपराधों में बिना वारंट गिरफ्तार करने के अधिकार है.

अगर आपको यह जानना है कि संज्ञेय अपराध कौन से हैं तो आपको दण्ड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure -CrPC), 1973 का शेड्यूल एक देखना होगा, जिसमें भारतीय़ दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) की धारा हत्या (300) , बलात्कार (376), दहेज़ (304-ब), अपहरण (361), दंगा (146) करना आदि को संज्ञेय अपराध की सूची में रखा गया है.

असंज्ञेय अपराध

क्रीमिनल प्रोसिजर कोड की धारा 2 (L) के तहत ऐसे अपराध जिनमें पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है, वे अपराध असंज्ञेय अपराध कहलाते हैं.

असंज्ञेय अपराध को हम कुछ उदाहरणों से समझ सकते हैं, जैसे किसी की धार्मिक भावना को कुछ शब्दों से भड़काना असंज्ञेय अपराध है,और भारतीय दंड सहिंता की धारा 298 यह कहती है कि इस अपराध में पुलिस बिना किसी वारंट के गिरफ्तारी नहीं कर सकेगी, किंतु भारतीय दंड संहिता की धारा 296 यह कहती है कि यदि किसी धार्मिक सभा, प्रार्थना स्थल में किसी तरह की बाधा डाली जाए तो यह संज्ञेय अपराध होगा.

इसी तरह भारतीय दंड संहिता की धारा 312 के अनुसार किसी का गर्भपात करवाना असंज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है. इसके अलावा (191) झूठे साक्ष्य देना, (420) धोखाधड़ी, (499) मानहानि जैसे अपराध को असंज्ञेय अपराधों की श्रेणी में रखा गया है.