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क्या स्कूलों में स्टूडेंट्स के स्मार्टफोन ले जाने पर पूरी तरह से बैन लगाना चाहिए? दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला पैरेंट्स-बच्चे दोनों को खुश कर देगा

दिल्ली हाई कोर्ट ने बच्चों को स्कूल में स्मार्टफोन लाने से रोकने से इनकार करते हुए कहा कि स्मार्टफोन का उपयोग शिक्षण, अनुशासन या कक्षा के शैक्षणिक माहौल पर नकारात्मक प्रभाव नहीं डालता है.

Delhi HC, Smartphone in School

Written by Satyam Kumar |Published : March 3, 2025 6:00 PM IST

बच्चों को स्मार्टफोन यूज करने देना चाहिए या नहीं, यह सवाल हर पैरेंट्स के लिए अहम है. दूसरा व्यवहारिक मसला यह है कि बच्चों को माता-पिता कितना भी डांटे, फोन देने से इंकार कर दें, बालपन हठ अपने मन का तो करवाकर ही दम लेते हैं. अब यही सवाल दिल्ली हाई कोर्ट के सामने पहुंचा. दिल्ली हाई कोर्ट ने जिस संजीदगी से इस फैसला सुनाया है, उससे थोड़ी खुशी- थोड़ा दुख और व्यापक  प्रभाव होगा. दिल्ली हाई कोर्ट ने आज बच्चों को स्कूल में स्मार्टफोन लेकर जाना चाहिए या नहीं, इसे लेकर अहम दिशानिर्देश जारी किया है.

बच्चों को स्मार्टफोन लाने पर बैन लगाने की जरूरत नहीं

केन्द्रीय स्कूल का एक छात्र, उम्र के लिहाज से नाबालिग दिल्ली हाई कोर्ट के सामने एक गुहार लेकर पहुंचा. उसने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि स्कूल में स्मार्टफोन लेकर जाने के चलते स्कूल प्रशासन ने उसके खिलाफ सख्त फैसला लिया है. स्कूल प्रशासन ने विरोध करते हुए दावा किया कि छात्र अक्सर चोरी-छिपे मोबाइल लेकर आता था और स्कूल में मोबाइल लाने की मनाही है. दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना. हाई कोर्ट ने कहा कि स्कूल में मोबाइल फोन लाने पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाना अनुचित और अवांछनीय है. आज के दौर में टेक्नोलॉजी ने काफी प्रगति की है, ऐसे में बच्चों के मोबाइल के यूज से दूर करने से बेहतर उन्हें उनमें उसके इस्तेमाल की समझ पैदा करनी चाहिए. अदालत ने कहा कि सुरक्षा के पहलू से भी बेहद महत्वपूर्ण  है.  आइये जानते हैं कि दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा और स्कूल में स्मार्टफोन ले जाने को लेकर क्या दिशानिर्देश जारी किए हैं...

दिल्ली हाई कोर्ट ने स्कूलों में बच्चों के स्मार्टफोन लाने पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया है. अदालत ने साफ कहा  है कि स्मार्टफोन का उपयोग शिक्षण, अनुशासन या कक्षा के शैक्षणिक वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव नहीं डालता है. अदालत ने कहा कि छात्रों को स्मार्टफोन लाने से नहीं रोका जाना चाहिए, लेकिन इसके यूज को रेगुलेट करने की जरूरत है. दिल्ली हाई कोर्ट ने सुझाव दिया कि स्कूल में स्मार्टफोन की सुरक्षा के लिए उचित व्यवस्था की जानी चाहिए. छात्रों को स्कूल में प्रवेश करते समय अपने स्मार्टफोन जमा करने और घर लौटते समय उन्हें सही से स्मार्टफोन दिए जाने को सुनिश्चित करना होगा.

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क्लासेस में शिक्षण, अनुशासन या शैक्षणिक वातावरण को बाधित करने से बचने के लिए स्मार्टफोन के यूज पर रोक रहेगी. इसके साथ ही, स्मार्टफोन में कैमरे और रिकॉर्डिंग सुविधाओं का उपयोग स्कूल के सामान्य क्षेत्रों और स्कूल वाहनों में प्रतिबंधित रहेगा.

इन हिदायतों के साथ स्कूल में स्मार्टफोन की इजाजत

  1. नीति के अनुसार, स्टूडेंट्स को स्मार्टफोन के यूज पर रोक लगाने से बेहतर होगा कि उनमें स्मार्टफोन का उपयोग सही और संतुलित तरीके से यूज करने की समझ डेवलप की जानी चाहिए.
  2. अदालत ने स्कूलों से कहा कि छात्रों को यह समझाना चाहिए कि हाई स्क्रीन-टाइम और सोशल मीडिया में ज्यादा समय बिताना टेंशन, ध्यान की कमी और साइबर-बुलिंग का कारण बना सकती है.
  3. क्लास के दौरान स्मार्टफोन का यूज प्रतिबंधित रहेगा ताकि यह शिक्षण, अनुशासन और शैक्षणिक माहौल में बाधा उत्पन्न करें. साथ ही स्कूल परिसर और स्कूल वाहनों में कैमरा और रिकॉर्डिंग की सुविधाओं का उपयोग भी रोक लगाया है.
  4. अदालत ने कहा कि स्कूलों में यह सुविधा होनी चाहिए कि छात्र स्कूल में आते समय अपने स्मार्टफोन जमा कर दें और घर लौटते समय उसे स्मार्टफोन वापस मिल जाए.
  5. छात्रों को जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार और स्मार्टफोन के नैतिक उपयोग के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए.
  6. नीति को नियमित रूप से समीक्षा और संशोधित किया जाना चाहिए जिससे नई चुनौतियों का सामना किया जा सके.
  7. स्मार्टफोन के उपयोग को नियंत्रित और मॉनिटर करने के लिए नीति को माता-पिता, शिक्षकों और विशेषज्ञों के साथ परामर्श करके विकसित किया जाना चाहिए.
  8. स्कूलों को अपनी विशिष्ट परिस्थितियों के अनुसार नीतियों को लागू करने की स्वतंत्रता होगी, जैसे कि स्मार्टफोन के सीमित उपयोग की अनुमति देना या सख्त प्रतिबंध लगाना.
  9. नीति को नियमों के उल्लंघन के लिए पारदर्शी, निष्पक्ष और लागू होने योग्य परिणाम स्थापित करने चाहिए, ताकि अनुशासन सुनिश्चित किया जा सके.

दिल्ली हाई कोर्ट ने स्मार्टफोन के यूज पर पूर्णत: बैन लगाने की जगह उसके प्रयोग को रेगुलेट करने का जोड़ दिया है.

केस टाइटल: YV बनाम केन्द्रीय विद्यालय