राजस्थान हाईकोर्ट के अनुवादकों से जुड़ी भर्ती प्रक्रिया के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नौकरी के लिए शुरू में तय किए नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी नौकरी के विज्ञापन में दिए गए पात्रता योग्यता (Eligibility Criteria) के हिसाब से बहाली प्रक्रिया पूरी की जाएगी, बीच प्रक्रिया में इन नियमों में बदलाव संभव नहीं है.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अहम फैसला सुनाया है. पीठ में जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और पीएस नरसिम्हा शामिल हुए. बेंच की ओर जस्टिस मनोज मिश्रा ने फैसला लिखा.
जस्टिस मनोज मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकारी नौकरी में बहाली के नोटिफिकेशन (विज्ञापन) जारी किए जाने के बाद एलिजिबलिटी क्राइटेरिया में बदलाव संभव नहीं है. नौकरी के विज्ञापन के साथ जारी किए पात्रता योग्यता बहाली संपन्न होने तक वहीं रहेंगे, इसमें बहाली प्रक्रिया के दौरान किसी प्रकार का बदलाव संभव नहीं है. वहीं बदलाव तभी तक संभव है, जब वे नियमों के अनुरूप हो, ना कि उसके विपरीत जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी जोड़ दिया कि नौकरी के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पारदर्शी और गैग-मनमाना नहीं हो.
मामला राजस्थान हाईकोर्ट में 2013 में अनुवादकों के पदों पर भर्ती से जुड़ा है. इसमें भर्ती के दौरान कुछ नियमों में बदलाव किया गया था, जिन उम्मीदवारों ने पहले ही लिखित परीक्षा और मौखिक परीक्षा दे दी थी, उन्हें प्रक्रिया के बीच में ही बताया गया कि केवल वही उम्मीदवार नियुक्ति के लिए योग्य होंगे, जिन्होंने अपनी परीक्षा में कम से कम 75 प्रतिशत अंक हासिल किए होंगे.