Bhartiya Nyay Sanhita 2023: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की चैप्टर 4 सजा के प्रावधानों की बात कहती है जिसमें सजा के विभिन्न प्रकार (कारावास, जुर्माना और सामुदायिक सेवा), अदालत द्वारा तय जुर्माना व सामुदायिक सेवा की सजा से इंकार करने की स्थितियों में क्या सजा होगी, इसकी जगह दोषी को क्या सजा दी जाएगी.
इससे पहले हमने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की चैप्टर 4 से ही जुड़ी धारा 4 से धारा 10 तक की चर्चा की थी, आज हम एकांत कारावास की सजा के बारे में चर्चा करेंगे. आइये जानते हैं.
बीएनएस की धारा 11: एकांत कारावास (Solitary Confinement)
बीएनएस की धारा 12: एकांत कारावास की सीमा (Limitation Of Solitary Confinement)
बीएनएस की धारा 13: पूर्व दोषसिद्धि के बाद कुछ अपराधों के लिए बढ़ी हुई सजा (Enhanced Punishment For Certain Offences after Previous Conviction)
आगे बढ़ने से पहले, एकांत कारावास, आम प्रचलन के शब्द काल-कोठरी, जिसमें आरोपी या दोषी को अन्य कैदियों से अलग-थलग रखा जाता है. ऐसा अमूमन बेहद खूंखार अपराधियों के लिए किया जाता है.
जब किसी व्यक्ति को ऐसे अपराध के लिए दोषी पाया जाता है जिसके लिए भारतीय न्याय संहिता के अनुसार अदालत को कठोर कारावास की सजा देने की शक्ति प्राप्त है, तो न्यायालय अपने आदेश में (विवेकानुसार), सजा की अवधि के अनुसार अपराधी को कारावास के किसी भाग या भागों के लिए एकान्त कारावास में रखने का आदेश दे सकती है. सजा को तय करने का स्केल, इस प्रकार का होगा,
(क) एकांत कारावास एक महीने से अधिक नहीं, यदि कारावास की अवधि छह महीने से अधिक नहीं होगी;
(ख) एकांत कारावास दो महीने से अधिक नहीं, यदि कारावास की अवधि छह महीने से अधिक और एक वर्ष से अधिक नहीं होगी;
(ग) यदि कारावास की अवधि एक वर्ष से अधिक हो तो तीन महीने से अधिक का एकांत कारावास नहीं दिया जा सकता है,
बीएनएस की धारा 12: एकान्त कारावास की सजा के निष्पादन में, ऐसा कारावास किसी भी मामले में एक बार में चौदह दिन से अधिक नहीं होगा, एकान्त कारावास की अवधि के बीच अंतराल भी इस अवधि से कम अवधि की नहीं होगी; और जब अधिसूचित कारावास तीन महीने से अधिक हो, तो एकान्त कारावास अधिसूचित पूरे कारावास के किसी एक महीने में सात दिन से अधिक नहीं होगा, अंतराल
बीएनएस की धारा 13 में पिछले अपराधों में दोषी पाए गए व्यक्तियों द्वारा किए गए कुछ अपराधों के लिए सजा बढ़ाने पर विचार कर रही है. अर्थात एक बार किसी अपराध में दोषी पाए जाने गए व्यक्ति द्वारा, दोबारा से, किसी अपराध को करने पर तय सजा बढ़ाकर दी जाएगी. यहां उद्देश्य कठोर परिणाम लागू करक आरोपी को आपराधिक गतिविधियों में आगे से शामिल होने से हतोत्साहित करना हैं.