नई दिल्ली: हमारे देश में लोक सेवक सरकार के सभी कामों को सुचारु रुप से चलाने में अहम भूमिका अदा करते हैं. लोक सेवक उस व्यक्ति को कहा जाता है जो सरकारी काम को करने के लिए बाध्य होता है. इसलिए जब भी किसी व्यक्ति को अदालत बुलाना होता है या अन्य किसी काम के लिए बुलाना होता है तो उसके लिए लोक सेवक का सहारा लिया जाता है.
अगर कोई लोक सेवक या सरकारी अधिकारियों के इन कर्तव्यों के पूरा होने में बाधा डालता है या कोर्ट के भेजे गए समन को नही मानता तो वह दोषी माना जाएगा, क्योंकि समन का पालन करना हर किसी के लिए अनिवार्य होता है और ऐसा ना करना जेल के सलाखों के पीछे भी पहुंचा सकता है. इसी तरह के अपराध के बारे में भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) 1860 की धारा (Section) 172 और 173 में बताया गया है.
आईपीसी की धारा 172 के तहत लोक सेवक द्वारा निकाले गए समन से संबंधीत अपराध के बारे में बताया गया है.
धारा के अनुसार, समनों की तामिल या अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाना एक अपराध है. यानि जो कोई भी लोक सेवक द्वारा निकाले गए समन, सूचना या आदेश की तामील या पालन से बचने के लिए फरार हो जाएगा, जो लोक सेवक के नाते ऐसे समन, सूचना या आदेश को निकालने के लिए वैध रूप से सक्षम हो, वह व्यक्ति सजा का पात्र होगा.
सजा
इस अपराध के लिए दोषी को सादे कारावास की सजा दी जाती है जिसकी अवधि एक महीने हो सकती है, या जुर्माना लगाया जा सकता है, जो पांच सौ रुपए तक हो सकता है, या फिर दोनों ही सजा से दंडित किया जा सकता है.
धारा 172 के तहत एक और अपराध का जिक्र किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि यदि समन या सूचना या आदेश [किसी न्यायालय में स्वयं या अभिकर्ता द्वारा हाजिर होने के लिए, या दस्तावेज अथवा इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख पेश करने के लिए] हो, और कोई व्यक्ति यह जानते हुए भी फरारा हो जाएगा तो वह भी सजा का पात्र होगा.
सजा
इस अपराध के लिए भी दोषी को सादे कारावास की सजा दी जाएगी जिसकी अवधि छ: महीने हो सकती है, या जुर्माना भी लगाया जा सकता है जो एक हजार रुपए हो सकता है, या फिर दोनों ही सजा दी जा सकती है.
धारा 173
इस धारा के तहत ये बताया गया है कि अगर कोई समन की तामील होने से या अन्य कार्यवाही को रोकना या प्रकाशन होने से रोकता है तो उसे क्या सजा मिलेगी.
धारा के अनुसार समन की तामील का या अन्य कार्यवाही का या उसके प्रकाशन का निवारण करना अर्थात जो कोई भी लोक सेवक के द्वारा लोक सेवक होने के नाते से निकाले गए किसी समन, सुचना या आदेश के पालन होने में कोई रोकथान (बाधा) करता है या उसके पूरा होने में विरोध करता है या फिर उसके प्रकाशन का निवारण करता है तो ऐसे में वह व्यक्ति सजा का पात्र होगा.
सजा
इसके लिए इस धारा के तहत एक महीने के कारावास की सजा, या पांच सौ रुपये तक का जुर्मान लगाया जा सकता है या दोनों ही सजा से दंडित किया जा सकता है.
अगर समन, सूचना, आदेश या उद्घोषण किसी अदालत में हाजिर होने के लिए या फिर इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख पेश करने के लिए हो और उसके रोकथाम की कोई कोशिश करेगा तो वह सादे कारावास की सजा से दंडित किया जाएगा या जिसकी अवधि छ: महीने हो सकती है, या फिर एक हजार का जुर्माना लगाया जा सकता है.
आपको बता दें कि लोक सेवक विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं. वो जांच और अदालती कार्यवाही में मददगार होते हैं. आईपीसी की धारा 21 के तहत लोक सेवक को परिभाषित किया गया है.