पुणे (महाराष्ट्र) की अदालत ने राहुल गांधी की याचिका स्वीकार करते हुए मानहानि के मामले की सुनवाई को संक्षिप्त सुनवाई से नियमित सुनवाई में बदल दिया है. अदालत के अनुसार, यह मामला जटिल तथ्यात्मक और कानूनी पहलुओं से जुड़ा है, जिसमें ऐतिहासिक तथ्यों का निर्धारण भी शामिल है. अदालत ने पाया कि संक्षिप्त सुनवाई में विस्तृत साक्ष्य और क्रॉस-परीक्षा संभव नहीं है, इसलिए नियमित सुनवाई उचित है. वीडी सावरकर के परपोते सात्यकी सावरकर ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. उनका आरोप है कि लंदन में दिए गए एक भाषण में राहुल गांधी ने सावरकर के बारे में झूठे और दुर्भावनापूर्ण आरोप लगाए थे.
विशेष अदालत (सांसद-विधायक, MP-MLA Court) के न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अमोल शिंदे ने राहुल गांधी के वकील मिलिंद पवार द्वारा दायर आवेदन स्वीकार कर लिया.
अदालत ने आदेश में कहा कि यह मामला प्रथम दृष्टया समन मामले (Summon Trial) की श्रेणी में आता है. अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में आरोपी तथ्यों और कानून से संबंधित जटिल प्रश्नों को उठा रहा है, जिनमें ऐतिहासिक तथ्यों का निर्धारण भी शामिल है. इसलिए, संक्षिप्त सुनवाई उपयुक्त नहीं दिखाई पड़ती है. ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने कहा कि नियमित सुनवाई में आरोपी को विस्तृत साक्ष्य प्रस्तुत करने और शिकायतकर्ता के गवाहों की पूरी तरह से जिरह करने की आवश्यकता होगी. न्याय के हित में यह मामला नियमित सुनवाई के रूप में चलाया जाना उपयुक्त होगा.
वीर सावरकर के परपोते सात्यकी सावरकर ने मार्च 2023 में लंदन में दिए गए राहुल गांधी के भाषण के आधार पर पुणे की अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें गांधी ने कथित तौर पर सावरकर के एक पुस्तक में लिखे कथन का उल्लेख किया था. सात्यकी सावरकर ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने मार्च 2023 में लंदन में एक भाषण के दौरान कहा था कि सावरकर ने एक पुस्तक में लिखा है कि उन्होंने और उनके कुछ दोस्तों ने एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की. शिकायत में कहा गया है कि ऐसा कोई वाक्या घटित नहीं हुआ और न ही सावरकर ने इस बारे में कुछ लिखा है.