कर्नाटक हाई कोर्ट ने भाजपा नेता अमित मालवीय और रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी है. उन पर यह झूठा दावा फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तुर्किए के इस्तांबुल में एक कार्यालय संचालित करती है.
जस्टिस एस रचिया ने बृहस्पतिवार को मालवीय और गोस्वामी दोनों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज मामलों को रद्द करने की मांग की गई थी. अगली सुनवाई तक किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दिया है.
बताते चलें कि अमित मालवीय एक विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर एक अलग मामले का भी सामना कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर छेड़छाड़ वाली (‘मॉर्फ्ड’) एक तस्वीर साझा की थी, जिसमें राहुल गांधी के आधे चेहरे को पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर के चेहरे के साथ मिलाया गया था. मालवीय की पोस्ट में सवाल किया गया कि क्या राहुल गांधी पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार निशान-ए-पाकिस्तान पाने के इच्छुक हैं. दोनों मामलों को रद्द करने की याचिका के बाद अब उन मामलों पर रोक लगा दी गई है.
कांग्रेस ने कर्नाटक सहित पूरे देश में कई शिकायतें दर्ज की थीं, जिनमें मालवीय और गोस्वामी पर इस मनगढ़ंत दावे के लिए आपराधिक रूप से प्रेरित अभियान चलाने का आरोप लगाया गया था कि तुर्किए में ‘इस्तांबुल कांग्रेस सेंटर’ कांग्रेस पार्टी का एक आधिकारिक कार्यालय है. पार्टी ने आरोप लगाया कि गलत सूचना का उद्देश्य कांग्रेस को बदनाम करना, अशांति भड़काना और राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करना था, जो कि पहलगाम हमले और भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद भारत और तुर्किए के बीच तनावपूर्ण कूटनीतिक संबंधों के मद्देनजर विशेष रूप से संवेदनशील है.
गत 20 मई को, रिपब्लिक टीवी ने एक सार्वजनिक खंडन जारी किया, जिसमें कहा गया कि उसके डिजिटल कवरेज में इस्तेमाल की गई एक छवि, जिसे कथित तौर पर तुर्किए में कथित कांग्रेस कार्यालय से जोड़ा गया था, को गलती से एक वीडियो संपादक द्वारा शामिल कर दिया गया था. चैनल ने स्पष्ट किया कि छवि का प्रसारण सामग्री से कोई संबंध नहीं था और इसे गोस्वामी के प्राइमटाइम डिबेट शो में कभी प्रसारित नहीं किया गया था. चैनल ने कहा कि यह गलती लाइव शो समाप्त होने के बाद हुई और इसे तुरंत ठीक कर दिया गया। रिपब्लिक टीवी ने बिना शर्त माफी मांग ली.
अगले दिन, मालवीय के ‘एक्स’ हैंडल पर एक पोस्ट में दोहराया गया कि कांग्रेस ने 2019 में तुर्किए में एक कार्यालय खोला था, जिससे कुछ ही समय पहले उसने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन किया था. उन्होंने कानूनी कार्रवाइयों को टालमटोल वाला बताते हुए खारिज कर दिया और जोर देकर कहा कि पार्टी ने अभी तक कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं दिया है. बृहस्पतिवार की अदालती कार्यवाही के दौरान, मालवीय और गोस्वामी का प्रतिनिधित्व करने वाली वरिष्ठ अधिवक्ता अरुणा श्याम ने तर्क दिया कि मुकदमा राजनीति से प्रेरित हैं और उनमें कोई दम नहीं है.
उन्होंने कानूनी प्रावधानों को लागू करने में विसंगतियों को उजागर किया, विशेष रूप से कैसे भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 352 के तहत शुरू में जमानती आरोप को पुलिस द्वारा मजिस्ट्रेट से संपर्क करने के बाद धारा 353 के तहत गैर-जमानती में बदल दिया गया था। धारा 353 सार्वजनिक अव्यवस्था को भड़काने के इरादे से दिए गए बयानों से संबंधित है. वरिष्ठ अधिवक्ता ने धारा 353 को लागू करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह (गांधी) कोई सरकारी पदाधिकारी नहीं हैं, बल्कि विपक्ष के नेता हैं.
राज्य के वकील ने जवाब दिया कि जांच अभी शुरुआती चरण में है और केवल नोटिस जारी किए गए हैं, जिसमें गिरफ्तारी का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि प्रसारित सूचना की प्रकृति और संदर्भ का पता लगाने के लिए जांच को आगे बढ़ने दिया जाए. हालांकि, कर्नाटक हाई कोर्ट ने किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दिया है.
(खबर पीटीआई इनपुट से है)