नई दिल्ली: डॉक्टरों के खिलाफ बिना किसी आधार के कार्रवाई पर सचेत करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक 21 वर्षीय महिला मरीज की मौत के बाद मेडिकल रजिस्टर से रेडियोलॉजिस्ट का नाम अस्थाई रूप से हटाने के फैसले को खारिज कर दिया है।
न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार, न्यायमूर्ति सी हरिशकंर ने इस बात पर जोर दिया कि दुर्भावनापूर्ण लापरवाही के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए क्योंकि ‘‘कांपने वाले हाथों में (सर्जरी वाला) ब्लेड नहीं थमाया जा सकता लेकिन इंडिया मेडिकल रजिस्टर में से डॉक्टर का नाम हटा देने से ना सिर्फ उसका करियर खत्म हो जाएगा बल्कि इसका वृहद पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव भी होगा।
मेडिकल रजिस्टर से तीन महीने के लिए नाम हटाने संबंधी भारतीय चिकित्सा परिषद के आदेश के खिलाफ रेडियोलॉजिस्ट की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि परिषद ने जब उनके खिलाफ चिकित्सकीय लापरवाही का मामला खत्म कर दिया और उनके खिलाफ अन्य कोई आरोप नहीं है तो फर्जी रिकॉर्ड बनाने के आधार पर सजा दिया जाना कानून सही नहीं है।
अदालत ने तीन जुलाई के अपने आदेश में कहा, ‘‘यह सच है कि... न्यूनतम चिकित्सकीय मानदंड पर खरा नहीं उतरने वाला व्यवहार या मरीज के कल्याण को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने वाले व्यवहार से कड़ाई से निपटने की जरूरत है, लेकिन प्रभावों पर विचार किये बगैर, बिना किसी आधार के डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई जनहित के प्रति पूर्वाग्रह होगी।"
गौरतलब है कि इस मामले में मई 2007 में महिला का गर्भपात हुआ था और उसके गर्भ में उसी भ्रूण के कुछ हिस्से बचे होने का पता चला था। जान को खतरे में डालने वाले संक्रमण से बचाव के लिए एक अन्य डॉक्टर ने महिला की सर्जरी की और मरीज की उसी दिन मौत हो गई। याचिका दायर करने वाले रेडियोलॉजिस्ट ने सर्जरी में आवश्यक मदद की थी।