
पब्लिक सर्वेंट को जातिसूचक गाली?
सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एक मामले को खारिज किया, जिसमें उस पर सरकारी कार्यालय में एक लोक सेवक (Public Servant) को जातिसूचक गाली देने का आरोप लगा था.

सुप्रीम कोर्ट
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SC ST Act का मामला नहीं
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि घटना सरकारी कार्यालय के भीतर एक निजी कक्ष में हुई थी, जहां घटना के वक्त कोई भी नहीं था.

सार्वजनिक तौर पर नहीं हुई घटना
अदालत ने कहा कि चूंकि घटना सार्वजनिक तौर पर घटित नहीं हुई, इसलिए इस मामले को एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध नहीं माना जाएगा.

'तुम्हारे जैसे लोग'
मामले में अपीलकर्ता व्यक्ति पर एक पब्लिक सर्वेंट ने जातिसूचक गाली देने व अपमान करने का आरोप लगाया. लोक सेवक ने दावा किया कि आरोपी ने उसे तुम जैसे सभी लोग सरकारी सेवा में रहेंगे तो ऐसा ही होगा...

लोक सेवक ने दर्ज SC/ST Act का मुकदमा
लोक सेवक ने व्यक्ति के खिलाफ भद्दी गालियां व अपमानजनक शब्द कहने का आरोप लगाते हुए एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया, जिसे रद्द कराने की मांग को लेकर आरोपी-अपीलकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी.

हाई कोर्ट से राहत नहीं
हाई कोर्ट ने मुकदमे को रद्द करने से इंकार किया, जिसके बाद व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया.

सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत
अब सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को एससी-एसटी एक्ट के तहत हुए अपराध मानने से इंकार करते हुए मामले को रद्द करने का आदेश दिया है.