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'सरकारी अफसर के दफ्तर में जब कोई तीसरा ना हो, उस वक्त दी गई 'जातिसूचक गाली' SC-ST Act का अपराध नहीं'

लोक सेवक ने व्यक्ति के खिलाफ भद्दी गालियां व अपमानजनक शब्द कहने का आरोप लगाते हुए एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया, जिसे रद्द कराने की मांग को लेकर आरोपी-अपीलकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी. मामला हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, आइये जानते हैं कि फिर क्या हुआ...

Written by Satyam Kumar Published : January 31, 2025 7:57 PM IST

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पब्लिक सर्वेंट को जातिसूचक गाली?

सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत एक मामले को खारिज किया, जिसमें उस पर सरकारी कार्यालय में एक लोक सेवक (Public Servant) को जातिसूचक गाली देने का आरोप लगा था.

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सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट

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SC ST Act का मामला नहीं

सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि घटना सरकारी कार्यालय के भीतर एक निजी कक्ष में हुई थी, जहां घटना के वक्त कोई भी नहीं था.

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सार्वजनिक तौर पर नहीं हुई घटना

अदालत ने कहा कि चूंकि घटना सार्वजनिक तौर पर घटित नहीं हुई, इसलिए इस मामले को एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध नहीं माना जाएगा.

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'तुम्हारे जैसे लोग'

मामले में अपीलकर्ता व्यक्ति पर एक पब्लिक सर्वेंट ने जातिसूचक गाली देने व अपमान करने का आरोप लगाया. लोक सेवक ने दावा किया कि आरोपी ने उसे तुम जैसे सभी लोग सरकारी सेवा में रहेंगे तो ऐसा ही होगा...

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लोक सेवक ने दर्ज SC/ST Act का मुकदमा

लोक सेवक ने व्यक्ति के खिलाफ भद्दी गालियां व अपमानजनक शब्द कहने का आरोप लगाते हुए एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया, जिसे रद्द कराने की मांग को लेकर आरोपी-अपीलकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी.

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हाई कोर्ट से राहत नहीं

हाई कोर्ट ने मुकदमे को रद्द करने से इंकार किया, जिसके बाद व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया.

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सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत

अब सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को एससी-एसटी एक्ट के तहत हुए अपराध मानने से इंकार करते हुए मामले को रद्द करने का आदेश दिया है.