
False Rape Case
झूठे रेप केस और सेक्सुअल हैरेसमेंट की झूठी घटना का आना कोई बड़ी घटना नहीं है, लेकिन

आठ अलग-अलग FIR
एक ही महिला द्वारा आठ पुरूषों के खिलाफ अलग-अलग मामलों में यौन उत्पीड़न, बलात्कार, झूठा वादा करके के संबंध बनाना आदि आरोप लगाकर केस दर्ज करवाना एक बड़ी घटना है.

Supreme Court

सैन्य अधिकारी की याचिका
चूंकि इन आठ व्यक्तियों में एक सेना के अधिकारी भी आरोपी बने. उन्होंने अपने ऊपर लगे Rape Case को रद्द करने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की,

रेप केस का मुकदमा
सैन्य अधिकारी के खिलाफ महिला ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 328 (अपराध करने के इरादे से जहर आदि के माध्यम से चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मुकदमा दर्ज कराई थी.

उठाया फायदा
FIR में उसने दावा किया कि वह उससे फेसबुक पर मिली थी. वह नौकरी की तलाश में थी, इसलिए वह सैन्य अधिकारी से मिली. जिस दौरान उसे मिलने के बुलाया और सुनसान जगह ले जाकर उसका यौन शोषण किया.

दिल्ली हाईकोर्ट
हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने सैन्य अधिकारी को राहत देने से इंकार करते हुए उनकी याचिका रद्द कर दी.

दो बच्चों की मां है महिला
राहत पाने को लेकर सैन्य अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. उसने शीर्ष अदालत को बताया कि महिला को दो बच्चे है, और अब तक जब भी अदालत ने उसे हाजिर होने के लिए नोटिस जारी किया है, वह हाजिर नहीं हुई

खत्म होना चाहिए था मुकदमा
दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह मामला पहले ही खत्म हो जाना चाहिए था,

Delhi HC उठाता कदम
दिल्ली हाई कोर्ट से नाराजगी व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय ने इस बात पर गौर क्यों नहीं किया. उच्च न्यायालय को सीआरपीसी की धारा 482 (या नई भारतीय न्याय संहिता की धारा 528 के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करके इस मामले को रद्द कर देना चाहिए था.

सैन्य अधिकारी को राहत
सैन्य अधिकारी को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसके खिलाफ मुकदमा रद्द कर दिया.