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'कोई मिनिमम एज नहीं है, बच्चों की गवाही सबूत के तौर पर मान्य होगी'

सुप्रीम कोर्ट ने एक मर्डर केस में बच्चे की गवाही के आधार पर पिता की दोषी ठहराया है. मध्य प्रदेश राज्य बनाम बलवीर सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गवाही देने को लेकर किसी मिनिमम एज की क्राइटेरिया नहीं है. हालांकि, इस दौरान बच्चों की गवाही को मान्य करने के लिए कुछ दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं.

Written by Satyam Kumar Published : February 25, 2025 7:19 PM IST

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पिता दोषी

मर्डर केस से जुड़े इस मामले में व्यक्ति ने अपनी पत्नी हत्या कर उसे चुपके से दफना दिया. बाद में बच्चे की गवाही पर उसके पिता को ठहराया.

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बच्चे की गवाही

बच्चे की गवाही के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने उसके पिता को मा की हत्या के लिए दोषी ठहराया है.

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हाई कोर्ट ने माना था अमान्य

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बच्चे की गवाही को अमान्य पाते हुए व्यक्ति की सजा खारिज की थी. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.

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सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट

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बच्चे की गवाही कब होगी मान्य?

हालांकि, बच्चे की गवाही कब मान्य होगी, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिशानिर्देश जारी किया है.

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गवाही की मान्य के दिशानिर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों की गवाही को स्वीकार्यता देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं...

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कोई मिनिमम एज नहीं

बच्चों को गवाह के रूप में गवाही देने के लिए कोई न्यूनतम आयु (Minimum Age) नहीं है;

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बच्चों के उत्तर देने की क्षमता

अगर बच्चा सवालों को समझने और सुसंगत उत्तर देने में सक्षम है, तो उसकी गवाही स्वीकार्य होगी;

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गवाही से पहले बच्चे का टेस्ट

बच्चे की गवाही रिकॉर्ड करने से पहले, ट्रायल कोर्ट को यह सुनिश्चित करने के लिए एक प्रारंभिक परीक्षा करनी होगी कि बच्चा गवाही देने की पवित्रता को समझता है;

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Child Witness

ट्रायल कोर्ट को अपना मत भी रिकॉर्ड करना चाहिए कि बच्चा गवाही देने की सत्यता की जिम्मेदारी को समझता है. साथ ही बच्चे की गवाही को मान्य करने के लिए किसी प्रकार के समर्थन या शर्त की आवश्यकता नहीं है;

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ट्यूटोरिंग पर रखे ध्यान

सुप्रीम कोर्ट ने आशंका जताते हुए कहा कि बच्चों को खतरनाक गवाह माना जाता है क्योंकि वे आसानी से प्रभावित हो सकते हैं; इसलिए, ट्रायल कोर्ट को उनके ट्यूटोरिंग की संभावना को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.