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'बेरोजगार होने पर शिक्षित पत्नी गुजारा-भत्ता बढ़ाने का दावा नहीं कर सकती'

उड़ीसा उच्च न्यायालय ने कहा कि एक सुशिक्षित महिला केवल अपने पूर्व पति से भरण-पोषण पाने के लिए बेरोजगार नहीं रह सकती. अदालत ने भरण-पोषण राशि को ₹8,000 से घटाकर ₹5,000 कर दिया है.

Written by Satyam Kumar Published : February 13, 2025 6:21 PM IST

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शिक्षित पत्नी को गुजारा-भत्ता

हाल ही में ओडिशा हाई कोर्ट ने भरण-पोषण को लेकर अहम फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा कि कानून एक शिक्षित महिला को केवल अपने पूर्व पति से भरण-पोषण प्राप्त करने के लिए बेरोजगार रहने का समर्थन नहीं करता है.

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उड़ीसा हाई कोर्ट

उड़ीसा हाई कोर्ट ने पत्नी की हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत दायर याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसा आचरण व्यक्तिगत संघर्ष की सीमाओं को पार कर उत्पीड़न के मूल को छूता है, जिससे पीड़ित पति या पत्नी के लिए शांतिपूर्ण और सम्मानजनक वैवाहिक जीवन जीना असंभव हो जाता है.

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गुजारा-भत्ता देने का आदेश

यह मामला एक पति द्वारा दायर याचिका से संबंधित था, जिसमें उसने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. फैमिली कोर्ट ने पति को अपनी पूर्व पत्नी को भरण-पोषण के रूप में ₹8,000 प्रति माह देने का निर्देश दिया था.

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वित्तीय स्थिति की जांच

अदालत ने दोनों पक्षों की वित्तीय स्थिति की जांच की, तो पता चला कि पति की मासिक आय ₹32,541 थी,

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पत्नी के वर्क एक्सपीरियंस

जबकि पत्नी, जो साइंस में ग्रेजुएट है और पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा धारक है, ने पहले एनडीटीवी नामक मीडिया संस्थान में काम किया था.

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वर्क करने की योग्याता

अदालत ने गौर किया कि पत्नी के पास योग्यता और वर्क एक्सपीरियंस है, फिर भी उसने बेरोजगारी का दावा किया है.

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असमर्थ होने पर गुजारा-भत्ता

ओडिशा हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि भरण-पोषण उन लोगों के लिए है जो वास्तव में अपने आप को बनाए रखने में असमर्थ हैं.

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पति की आय और पत्नी की जरूरत

अदालत ने स्पष्ट किया कि भरण-पोषण की प्रावधान का सामाजिक उद्देश्य यह है कि पत्नी की आवश्यकता और पति की आय के साथ संतुलित होना चाहिए.

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गुजारा-भत्ता की राशि कम

पत्नी के पास काम करने की योग्यता और क्षमता देखते हुए ओडिशा हाई कोर्ट ने भरण-पोषण की राशि को ₹8,000 से घटाकर ₹5,000 प्रति माह कर दिया है.