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संविधान के किस आर्टिकल के तहत बिहार में शराबबंदी कानून बना

शराबबंदी के उद्देश्य को लेकर पटना हाईकोर्ट ने आर्टिकल 47 का जिक्र किया, जो कि संविधान के चौथे भाग 'राज्य के नीति निदेशक तत्व' में आता है. इस आर्टिकल में मिले निर्देशों के अनुसार राज्य सरकार को नशीली पेय और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक दवाइयों को बैन करने का अधिकार है.

Written by Satyam Kumar Updated : November 16, 2024 1:00 PM IST

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गरीबों के लिए गले का फास

बिहार शराबबंदी से राज्य के गरीब के लोगों के खिलाफ मुकदमों की भरमार हो चुकी है,वहीं शराब माफियाओं और तस्करों के खिलाफ मामूली केस दर्ज हुए हैं.

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पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट

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बिहार सरकार का शराबबंदी कानून

पटना हाईकोर्ट ने आगे कहा कि संविधान के आर्टिकल 47 के तहत 2016 में लाए गए शराबबंदी कानून का उद्देश्य बेहद ही नेक था, लेकिन अब यह गरीब लोगों की मुसीबत बन गया है.

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संविधान का आर्टिकल 47

पटना हाईकोर्ट ने आर्टिकल 47 का जिक्र किया, जो कि संविधान के चौथे भाग 'राज्य के नीति निदेशक तत्व' में आता है.

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राज्य के लोगों का जीवन स्तर

संविधान का आर्टिकल 47, राज्य के लोगों का जीवन स्तर बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकारों को कानून बनाने शक्ति देता है.

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नीति निर्देशक तत्व

राज्य अपने लोगों के लिविंग स्टैंडर्ड को बढ़ाने, उनके स्वास्थ्य को सही रखने व अच्छा खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने के लिए नियमों में सुधार कर सकता है.

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नशीले पेय

इस आर्टिकल में मिले निर्देशों के अनुसार राज्य सरकार को नशीली पेय और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक दवाइयों को बैन करने का अधिकार है.

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पुलिस अधिकारी

इस दौरान पटना हाईकोर्ट ने पुलिस, एक्साइज, टैक्स व परिवहन विभाग के अधिकारियों के रवैये पर टिप्पणी की है,

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शराबबंदी पसंद

अदालत ने कहा कि राज्य के पुलिस, एक्साइज व अन्य अधिकारियों को शराबबंदी पसंद है, क्योंकि इसमें उन्हें मोटा पैसा कमाने का अवसर दिखता है.

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राज्य के लोगों का समाजिक स्तर

पटना हाईकोर्ट ने इस कमेंट से राज्य सरकार के शराबबंदी नियम से समाज के दो वर्गों के जीवन स्तर बेहद गंभीर टिप्पणी की है.