सुप्रीम कोर्ट ने आज कोविशील्ड वैक्सीनेशन के बाद दो महिलाओं की कथित मौत से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की. बहस के दौरान सरकार ने तर्क दिया कि अभूतपूर्व संकट के दौरान टीकाकरण ने लोगों की जान बचाई. मामले में याचिकाकर्ताओं माता-पिता ने दावा किया कि कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक लेने के बाद ही दोनों बेटियों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, जिसके बाद उनकी मौत हो गई.
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की पीठ दो महिलाओं की कथित तौर पर टीका लगने से हुई मौत से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि कोविड एक ऐसी आपदा है जो पहले कभी नहीं हुई. इस पर महिला के माता-पिता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने जवाब दिया कि हम इसका विरोध नहीं कर रहे हैं. हमारी राय इस पर अलग नहीं.
दोनों महिलाओं के माता-पिता द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि कोविशील्ड टीके की पहली खुराक के बाद महिलाओं को टीकाकरण के पश्चात गंभीर प्रतिकूल प्रभाव (एईएफआई) का सामना करना पड़ा. एएसजी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने कोविड टीकाकरण के पहलू पर समग्र रूप से विचार किया है और एईएफआई के पहलू से निपटने का फैसला दिया है. उन्होंने कहा कि आखिरकार, यह संतुलन साधने का सवाल है. कोविड एक ऐसी आपदा थी, जैसी पहले कभी नहीं हुई. कोविड टीकाकरण ने महामारी के दौरान लोगों की जान बचाई है और हमारे पास एक मजबूत नियामक तंत्र है. सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि ये सभी गैरजरूरी मुकदमे हैं.
सीनियर एडवोकेट ने तर्क दिया कि 2021 में यूरोपीय देशों में कोविशील्ड टीके को बंद कर दिया गया था क्योंकि यह खतरनाक था. पीठ ने उनसे तीन दिन के भीतर आवेदन की एक प्रति केंद्र के वकील को उपलब्ध कराने को कहा और एएसजी से कहा कि हम आपको आवेदन का जवाब देने के लिए समय दे रहे हैं, उसके बाद हम पूरे मामले पर विचार करेंगे. केंद्र को चार सप्ताह के भीतर आवेदन पर जवाब देने को कहा है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगी.
गोंजाल्विस ने कहा कि दोनों याचिकाकर्ताओं ने टीकाकरण के बाद अपनी बेटियों को खो दिया था. अदालत ने कहा कि इस याचिका पर विचार किया है, हमें इस पर निर्णय करना होगा. एएसजी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2022 में याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था और सरकार का जवाबी हलफनामा रिकॉर्ड में है. गोंजाल्विस ने कहा कि यह एक व्यापक मुद्दा है, जो उपचारों के खुलासे के बिना टीके से होने वाली नुकसान से संबंधित है. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने राहत खंड में संशोधन की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया था, जिसमें सरकार द्वारा संभावित प्रतिकूल प्रभावों और उसके उपचार को निर्दिष्ट करना शामिल था.